राठौर के इस्तीफे से शिवसेना की छवि निखरी, NCP बचा रही है मंत्रियों को

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    मॉडल पूजा चव्हाण (Pooja Chavan) आत्महत्या मामले में फंसे वन मंत्री संजय राठौड़ (Sanjay Rathod) के प्रति शिवसेना ने सख्त रुख अपनाते हुए उनका इस्तीफा ले लिया था जिससे शिवसेना की छवि निखरी थी. इसके सर्वथा विपरीत एनसीपी एड़ी चोटी का जोर गाकर विवाद में घिरे अपने मंत्रियों को बचाने में लगी है.

    महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल इन दलों के रवैये व मानसिकता में फर्क साफ नजर आता है. क्या जो मानदंड या पैमाना शिवसेना ने अपने मंत्री को लेकर अपनाया, वैसा ही एनसीपी भी तो कर सकती है. ऐसा करने के लिए दृढ़ता दिखानी पड़ती है. राजनीति में निष्कलंक छवि बनाए रखते हुए अपनी साख मजबूत रखनी है तो हर पार्टी को चाहिए कि विवाद में घिरे मंत्री से जांच पूरी होने तक इस्तीफा देने को कहे. इससे जनता के बीच अच्छा संदेश जाता है और ऐसा लगता है कि पार्टी येन केन प्रकारेण अपने मंत्री को बचाने की जद्दोजहद नहीं कर रहीं हैं.

    संजय राठौड़ ने अपनी लोकप्रियता व जनाधार सिद्ध करने के लिए हजारों समर्थकों के साथ दलबल सहित वाशिम जिले में पोहरादेवी का दर्शन किया था. इतने दमदार शक्ति प्रदर्शन के बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) प्रभावित नहीं हुए. ठाकरे से मिलने उनके निवास ‘वर्षा’ पहुंचे संजय राठौड़ डेढ़ घंटे तक प्रतीक्षा करते रहे लेकिन सीएम ने उनसे मुलाकात नहीं की. वैसे संजय राठौड़ के शक्ति प्रदर्शन से महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के किंगमेकर व एनसीपी अध्यक्ष शरदा पवार भी नाराज थे. विपक्षी पार्टी बीजेपी का दबाव भी बढ़ता जा रहा था ऐसी हालत में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने संजय राठौड़ का इस्तीफा ले लिया ओर  राज्यपाल ने उसे मंजूर भी कर लिया.

    यह सारा घटनाक्रम फरवरी-मार्च में ही हुआ. इसके बाद मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परवीरसिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर आरोप लगाय कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को मुंबई के कार और रेस्टोरेंटस से हर माह 100 करोड़ रुपए वसूल करने को कहा था. इतना ही नहीं परमवीर सिंह ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की जिसमें उन्होंने अपने ट्रांस्फर आर्डर को चुनौती दी है. याचिका में 100 करोड़ रुपए कलेक्शन के टारगेट का भी जिक्र है. उनका दावा है कि गृहमंत्री देशमुख सचिन वझे के साथ अपने बंगले पर लगातार बैठक कररहे थे.  उन्होंने बंगले का सीसीटीवी फुटेज की जांच की मांग भी की.

    पवार ने बचाव किया

    शरद पवार ने कहा कि जिस समय की बैठक का उल्लेख परमवीर सिंह (Paramveer singh) ने किया है उन दिनों अनिल देशमुख मुंबई में थे ही नहीं बल्कि कारोना पीड़ित होने की वजह से नागपुर के अस्पताल में भरती थे. उन्होंने अस्पताल प्रमाणपत्र का भी जिक्र किया. पवार ने कहा कि परमवीर ने आरोपों में कोई तथ्य नहीं है. उन्होंने पार्टी प्रमुख होने के नाते देशमुख से इस्तीफा नहीं मांगने का फैसला किया है. इ मामले में सीएम को निर्णय लेना है, ऐसा कहकर पवार  नें गेंद उद्धव के पाले में डाल दी. देशमुख पर आरोपों से कांग्रेस हाईकमान भी खुश नहीं है.