Sharad Pawar

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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सूझबूझ है कि वे महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के किंगमेकर व एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को इतना मान-सम्मान दे रहे हैं कि उन्होंने ग्राम समृद्धि योजना (Samridhi Yojana) को पवार का नाम देने का निर्णय लिया है. यह एक संतुलित निर्णय है क्योंकि समृद्धि महामार्ग को शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का नाम दिया गया है तो ग्राम समृद्धि सड़कें पवार के नाम पर होंगी.

यह तथ्य है कि अलग पार्टियों में रहते हुए भी शरद पवार और बाल ठाकरे (Bal thackeray) परस्पर मित्र थे. महाराष्ट्र के दिग्गज नेता पवार की वजह से ही महाविकास आघाड़ी बनी और उद्धव ठाकरे की सरकार सत्ता में आई. ऐसा नाम देकर मुख्यमंत्री ने शरद पवार के प्रति अपनी कृतज्ञता और अपनापन जताया है. खास बात यह है कि ऐसा कदम उठाकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के खिलाफ अपनी राजनीतिक बिसात को और मजबूत कर लिया है. बीजेपी इस फिराक में है कि महाविकास आघाड़ी में फूट पड़ जाए और वह फिर सत्ता में आ जाए लेकिन कर्नाटक या मध्यप्रदेश के समान उसका ‘ऑपरेशन लोटस’ महाराष्ट्र में चल नहीं पा रहा है. ठाकरे सरकार ने मनरेगा के साथ मिलकर शरद पवार ग्राम समृद्धि योजना लागू करने का फैसला किया है.

इसमें गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़कें बनाई जाएंगी जिससे ग्रामीण लोगों को बड़ी तादाद में रोजगार मिलेगा. शरद पवार ग्राम समृद्धि योजना में वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है. इसे केंद्र के विवादित किसान कानूनों का जवाब माना जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी. शरद पवार स्वयं विकास के पुरोधा रहे हैं जिन्होंने बारामती का भरपूर विकास किया तथा लवासा जैसे मॉडल विलेज का निर्माण करवाया. जब योजना से पवार का नाम जुड़ा है तो सरकार उसे सफल बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी.