Former Mumbai Police Commissioner Param Bir Singh did not appear before ACB, was issued summons in extortion case
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    अत्यंत आश्चर्य की बात है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को अब महाराष्ट्र पुलिस पर भरोसा नहीं है जिसमें न केवल उन्होंने 30 वर्षों तक नौकरी की बल्कि बड़े महत्वपूर्ण व जिम्मेदार पदों पर भी रहे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि उनके खिलाफ शुरू की गई जांच के सारे मामले महाराष्ट्र के बाहर स्थानांतरित किए जाएं तथा यह जांच सीबीआई को सौंप दी जाए. इस पर अदालत ने उन्हें खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि जिनके घर शीशे के हों, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते.

    आप महाराष्ट्र आईपीएस कैडर का हिस्सा हैं और 30 साल राज्य की सेवा की है. अब आप यह नहीं कह सकते कि आप महाराष्ट्र के बाहर अपनी पूछताछ चाहते हैं. आपको अपने पुलिस फोर्स पर संदेह नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया तब परमबीर सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने याचिका वापस ले ली. सुप्रीम कोर्ट का कथन तर्कसंगत है. पुलिस अधिकारी को उस राज्य और वहां की पुलिस पर भरोसा रहना चाहिए जहां उसने लंबी सेवा की है. डर वहां रहता है जहां दाल में कुछ काला हो. यदि परमबीर सिंह खुद को बेकसूर मानते हैं तो उन्हें शक क्यों हो रहा है? परमबीर सिंह ने याचिका में कहा था कि जबसे उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख द्वारा 100 करोड़ रुपए मासिक जबरन वसूली का टारगेट दिए जाने का आरोप लगाया था तब से उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है.