सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर केंद्र ने न्यायाधिकरण में नियुक्तियां कीं

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    कानूनों को सक्षमतापूर्वक लागू करने के लिए न्यायपालिका के पदों को यथाशीघ्र भरना आवश्यक है. इसे लेकर केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट के बीच समुचित सामंजस्य होना चाहिए. देश के विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट व ट्रिब्यूनल में खाली पड़े पदों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार करने में केंद्र सरकार विलंब करती रही. यद्यपि विशिष्ट मामलों को निपटाने के लिए बहुत सी ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) की स्थापना की गई लेकिन इससे बकाया मामलों की तादाद कम नहीं हो पाई तथा न्यायाधिकरण भी अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सके. 

    न्यायाधिकरणों के रिक्त पदों को भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों की अध्यक्षता में वैधानिक चयन समितियां हैं. आखिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर पड़ा और केंद्र सरकार ने 2 प्रमुख ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में 18 सदस्य नियुक्त किए गए हैं जबकि इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में 13 सदस्यों की नियुक्ति हुई है. दोनों न्यायाधिकरणों में कई महीनों से नियुक्तियां लंबित थीं.

    कुछ दिन पहले सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. अदालत ने ट्रिब्यूनल में खाली पड़े पदों को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा था कि केंद्र को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है. हफ्ते भर के भीतर नियुक्तियां न होने पर अदालत ने अवमानना प्रक्रिया चलाने की चेतावनी दी थी. इसके पहले केंद्र सरकार के ट्रिब्यूनल रिफार्म्स एक्ट ने 8 अपीलेट बोर्ड व ट्रिब्यूनल को समाप्त कर सारे मामले हाई कोर्ट को ट्रांसफर कर दिए थे जबकि हाई कोर्ट पर पहले ही मामलों का बहुत अधिक बोझ है. देश के हाई कोर्ट में 40 प्रतिशत पद खाली हैं. अंतत: किसी भी तरह के टकराव से बचने के लिए केंद्र सरकार ने एनसीएलटी में 8 न्यायिक सदस्यों और 10 तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति कर दी. यह नियुक्तियां 5 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र पूरी होने तक रहेंगी.

    इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में 4 न्यायिक सदस्य नियुक्त किए गए. इसके अलावा 2 नियुक्तियां अनुसूचित जाति व ओबीसी श्रेणी में हुई हैं. 7 अकाउंटेंट सदस्य भी नियुक्त किए गए. जिन 8 न्यायिक सदस्यों को नियुक्त किया गया, वे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं. इनमें बाम्बे हाई कोर्ट के प्रदीप देशमुख, आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस तेलाप्रोलु व मद्रास हाई कोर्ट के एस. रामलिंगम शामिल हैं.