बिहार में रहा था जंगल राज मोदी ने बताया तेजस्वी को युवराज

Loading

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैली में नाम लिए बिना राजद नेता तेजस्वी यादव को जंगल राज का युवराज बताया. आपकी इस बारे में क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘ऐसी टिप्पणी कर मोदी ने तेजस्वी का राज्याभिषेक कर दिया है. इसका मतलब है कि जंगल राज के राजा थे लालूप्रसाद यादव और युवराज हैं उनके बेटे तेजस्वी! जब बिहार का विभाजन हुआ तो अधिकांश जंगल झारखंड में चला गया. पर्यावरण के लिए जंगल की बहुत उपयोगिता रहती है. वन संरक्षण का अर्थ ही होता है- जंगल बचाओ. लोग जंगल में मंगल मनाने के लिए ताड़ोबा, पेंच, कान्हा-किसली जाते हैं और खुद को फ्रेश महसूस करते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जंगल राज का आशय है अराजकता, ऐसी अव्यवस्था जिसके लिए कहा जा सकता है- अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खाजा एक मिठाई का नाम है. लालू ने पशुचारा खाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. चारा घोटाला की वजह से वे जेल में हैं और चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए गए हैं. लालू के मुख्यमंत्री रहते समय किडनैपिंग का बोलबाला था, छोटे-मोटे धंधे-बिजनेस वालों से भी रंगदारी वसूली जाती थी. कोई भी उद्योगपति वहां उद्योग लगाना नहीं चाहता था क्योंकि माफिया उससे मोटी रकम वसूल करता. यदि आपने ‘अपहरण’ और ‘गंगाजल’ नामक फिल्में देखी होंगी तो बिहार की तस्वीर ध्यान में आ गई होगी. वहां तो कोई युवा इंजीनियर या डाक्टर भी सुरक्षित नहीं था. उसका बंदूक की नोक पर अपहरण कर जबरन शादी करा दी जाती थी. इसे पकड़ौआ दूल्हा प्रथा कहते हैं. किसी का अपहरण हो जाने पर लोगों को पुलिस से कोई उम्मीद नहीं रहती थी.

वे किसी दबंग नेता के यहां जाते थे जहां फिरौती की रकम तय होती थी. फिरौती देने के बाद ही अपहृत व्यक्ति को छोड़ा जाता था. लालू की बेटी की शादी के समय उनके पार्टीजनों ने टाटा के शोरूम से जबरन नई गाड़ियां उठा ली थीं जो वापस नहीं लौटाई गईं.’’ हमने कहा, ‘‘जंगल का नियम ही है कि जो बलवान या सशक्त है, उसे ही जीने का अधिकार है. वैसे जंगल के प्रति लेखकों का भी आकर्षण रहा है, तभी तो रुडयार्ड किपलिंग ने मोगली जैसे कैरेक्टर को लेकर ‘जंगल बुक’ किताब लिखी. आपको यह गीत भी याद होगा- जंगल-जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है, फूल खिला है! शेर को जंगल का राजा माना जाता है. टार्जन पर अनेक फिल्में बनी हैं. वह भी जंगल में ही रहा करता था. अब देखना होगा कि चुनाव में जंगल के युवराज का क्या हश्र होता है!’’