दीवार की तरह डटे रहे विहारी व अश्विन, सिडनी का ड्रा मैच भी जीत के बराबर

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फटाफट क्रिकेट के इस युग में धैर्यपूर्वक 5 दिनों का टेस्ट मैच देखना कई लोगों को पसंद नहीं आता लेकिन क्रिकेट की असली खूबसूरती टेस्ट में ही है जहां बल्लेबाज को धैर्य रखकर लंबे समय तक पारी खेलनी पड़ती है और गेंदबाजों को भी लंबे स्पेल तक बॉलिंग करनी होती है. टेस्ट मैच (Sydney Test) में आकर्षक व कलात्मक शॉट भी देखने को मिलते हैं. सिडनी टेस्ट मैच में हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) और रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने गजब का धीरज और एकाग्रता दिखाते हुए लंबी रक्षात्मक पारी खेली और पराजय को टालते हुए मैच ड्रा करा दिया.

इन खिलाड़ियों ने सचमुच ‘दीवार’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ की याद दिला दी. आस्ट्रेलियाई (Australia)गेंदबाजों की सारी रणनीति विफल करते हुए विहारी और अश्विन की जोड़ी अंत तक टिकी रही. इस अनिर्णीत मैच की चौथी पारी में भारत ने सर्वाधिक 131 ओवर बल्लेबाजी करने का 5वां रिकार्ड बनाया. इसके 40 वर्ष पहले 1980 में भारत ने एक टेस्ट की चौथी पारी 131 ओवर तक खेली थी. पंत और पुजारा की अच्छी शुरुआत के बाद विहारी और अश्विन ने तय कर लिया था कि विकेट बचाकर टिके रहेंगे. उन्होंने आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का सामना करने में अविश्वसनीय जज्बा दिखाया. उस स्थिति पर गौर किया जाए कि छींटाकशी वर्णभेदी फिकरेबाजी के बावजूद और चोटिल रहने पर भी भारतीय खिलाड़ियों ने घुटने नहीं टेके. हैजलवुड की 2 गेंदें अश्विन को कंधे और सीने पर लगी, फिर भी वह डटे रहे. अपने होमग्राउंड पर आस्ट्रेलिया टीम इंडिया को हरा नहीं पाया. पेस अटैक के सामने भारतीय बल्लेबाजों का हौसला देखने लायक था.

अंगद के समान क्रीज पर डटे हनुमा विहारी और अश्विन की चट्टानी पारी देखते हुए खुद आस्ट्रेलिया की टीम हताश हो गई. कप्तान टिम पेन ने विकेट कीपिंग करते हुए 3 कैच छोड़ दिए. ऐसा भी नहीं है कि भारतीय खिलाड़ी सिर्फ विकेट बचाने में लगे रहे, रिषभ पंत ने आक्रामक खेल दिखाते हुए 118 गेंदों में 97 रन बनाए. रिवर्स स्वीप जैसे शॉट भी देखने को मिले. दूसरी ओर अश्विन ने 128 गेंदों पर 39 रन तथा विहारी ने 161 गेदों का सामना करते हुए 23 रन बनाकर अपने संयम का परिचय दिया. उन्होंने हड़बड़ी में कोई रिस्की शॉट नहीं खेला. अब यदि भारत ब्रिसबेन का अंतिम टेस्ट जीत जाए तो सीरीज उसके कब्जे में होगी.