धूपकालिन धान फसलों के लिए रोपाई की मशक्कत, सिंचाई सुविधा क्षेत्र में रोपाई कार्य में आयी गति

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    •  वातावरण के बदलांव से पौधों के वृद्धि में दिक्कत 

    गड़चिरोली. धान यह जिले की प्रमुख फसल है. जिससे खरीफ सीजन में धान फसलों का सर्वत्र उत्पादन लिया जाता है. किंतू जिले में विगत कुछ वर्षो में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कर किसान दुबार, तिबार फसल उगाई की ओर बढ़े है. जिसके चलते जिले में धूपकालिन धान फसलों की बुआई भी अनेक किसानों ने की है. फिलहाल धान फसलों की रोपाई का कार्य जारी है. 

    इस वर्ष खरीफ सीजन का उत्पादन किसानों के लिए समाधानकारण नहीं था. ऐसे स्थिती में भी किसानों ने दुबारा धान फसलों का उत्पादन लेने के फसलों की बुआई की. किंतू वातावरण के बदलांव के चलते धान फसलों की अपेक्षित वृद्धि होने में दिक्कत निर्माण हुई. धान के पौधे पिले पकड़क रोगो से प्रभावित दिखाई दे रहे है. ऐसी स्थिती में भी किसान रोपाई कार्य कर रहे है.

    करीबन सभी किसान कम आकार के धान की बुआई करते है. फरवरी माह में बुआई किए गए धान की अप्रैल माह के अंत तक फसलें हाथ में आती है. जिस कारण किसान तेज गति से धान फसलों की रोपाई कार्य प्रारंभ किया है. धूपकालिन धान फसलों के लिए किसान सुबह से ही खेत पर दिखाई दे रहे है. इस रोपाईकार्य के लिए पुरूष मजदूर को 250 रुपये तो महिला मजदूरों को 150 रुपये मजदूरी देनी पड़ रही है, ऐसी बात किसानों द्वारा कहीं जा रही है. 

    किसान खरीफ की धान फसल निकलने के बाद आगामी खरीफ सीजन आने तक खेत जमिन पड़ीत रखते है. कुछ किसान सब्जी फसले तो कुछ अन्य वैकल्पिक फसलें लेते है. किंतू केवल खरीफ फसलों के लिए उपयोग किए जा रहे खेत जमिन पर करीबन 6 माह तक कोई फसलें नहीं ली जाती है. इसका प्रमाण जिले में अधिक दिखाई देता है. वहीं अबतक किसान बारिश के पानी पर निर्भर रहने से किसानों को एक बार फसल उगाई करने के बाद जमीन को पड़ीक रखने की नौबत आती है. सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए अनेक कल्याणकारी योजना चलाई जा रही है. फिर भी उसपर प्रभावी अंमल करनेवाली यंत्रणा टालमटोल करती नजर आ रही है. 

    मजदूरों की कमी 

    अनेक किसान धूपकालिन धान फसलों की बुआई का कार्य प्रारंभ किया है. किसानों द्वारा रोपाईकार्य यथाशिघ्र निपटाने के प्रयास में लगे हुए है. ऐसे में किसानों को मजदूरों की कमी महसूस हो रही है. फलस्वरूप किसान अडचणों में आया है. बतां दे कि, जिले के अनेक गांवों के किसान मिर्च तुडाई हेतु बाहरी राज्य में जाते है. जिस कारण मजदूर नहीं मिलने के किसान दिक्कतों में फंसे है. जैसे तैसे रोपाईकार्य निपटाने के प्रयास में किसान है. 

    कृषी विभाग के मार्गदर्शन की आवश्यकता 

    सिंचाई सुविधा होनेवाले तहसील के अधिकांक्ष किसान धूपकालिन धान फसलों का उत्पादन लेते है. किंतू कृषि विभाग की ओर से उचित किसानों को मार्गदर्शन नहीं मिलता है. जिससे धूपकालिन बुआई क्षेत्र में वृद्धि होती दिखाई नहीं दे रही है. अगर उचित समय कृषि विभाग की ओर से किसानों को मार्गदर्शन मिला होता तो धूपकालिन धान फसलों की किसान बड़े पैमाने पर बुआई कर बिते सीजन के नुकसान की पूर्ति कर पाते.