ब्रिटेन ने भारत में वैक्सीन की दोनों डोज लगा चुके ऐसे सभी भारतीय यात्रियों को अपने देश आने पर अनिवार्य रूप से 10 दिनों तक क्वारंटाइन में रखने का बेतुका और अपमानजनक प्रतिबंध लगाया. इस मनमाने और भेदभावपूर्ण निर्णय के खिलाफ भारत ने भी वैसा ही जवाबी फैसला लिया है. अब जो भी ब्रिटिश नागरिक भारत आएगा, उसे भी वैक्सीनेशन के बावजूद क्वारंटाइन में भेजा जाएगा. भारत का यह कदम ‘जैसे को तैसा’ है. ब्रिटेन भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता नहीं देता.
भारत के कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद ब्रिटिश सरकार ने सिर्फ कोविशील्ड को अपनी मान्यताप्राप्त वैक्सीन की सूची में शामिल किया लेकिन भारतीय वैक्सीनेशन प्रमाणपत्रों को मान्यता देने से इनकार कर दिया यह मनमाना और बेबुनियाद कदम था. इस तरह ब्रिटेन ने भारतीयों को नीचा दिखाने की अपनी ओछी साम्राज्यवादी प्रवृत्ति दिखाई है. भारत ने इसे बर्दाश्त नहीं किया. भारत में बने वैक्सीन ब्रिटेन सहित दुनिया के 140 देशों में लोगों को लगाए गए फिर ब्रिटेन क्यों ऐसे नखरे दिखा रहा है? भारतीयों से ऐसे बर्ताव के पीछे उसका पूर्वाग्रह नजर आता है. ब्रिटेन का रवैया अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बाधक है. आज भारत विश्व बिरादरी में महत्वपूर्ण हैसियत रखता है.
भारत-ब्रिटेन के बीच व्यापार संबंध भी हैं लेकिन वैक्सीन के मुद्दे पर ब्रिटेन का रवैया विचित्र है. ब्रिटेन तय करे कि वह अकड़ दिखाना चाहता है या अच्छे संबंध रखना! भारत के स्वाभिमान को चुनौती देना उसे महंगा पड़ेगा. सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ब्रिटेन में प्रवेश के नियमों को अतिरंजित बताया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के वैक्सीन को मान्यता दी है. यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भारत का साथ दिया और कहा कि मैंने भारत में बने कोविशील्ड के दोनों टीके लगवाए और स्वस्थ हूं.