त्रिपुरा के CM को कोर्ट की कोई परवाह नहीं

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    नेता देश का हो या राज्य का, कानून और संविधान का पालन करना उसका कर्तव्य है. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने जिस प्रकार के विचार व्यक्त किए हैं, वे अराजकता फैलाने वाले हैं. उन्होंने सरकारी अधिकारियों से कहा कि वे अदालत की अवमानना के बारे में चिंता न करें क्योंकि पुलिस उनके नियंत्रण में है और ऐसे में किसी को जेल भेजना आसान नहीं है. क्या सुप्रीम कोर्ट इस तरह की टिप्पणी का संज्ञान लेगा?

    बिप्लब देव ने न्यायपालिका को चुनौती देने का दुस्साहस किया है जबकि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका सभी की अपनी विशिष्ट गरिमा है. त्रिपुरा के सीएम ने कहा कि राज्य का गृहमंत्री हूं और पुलिस को नियंत्रित करता हूं. अधिकारी अदालत की अवमानना का हवाला देते हुए किसी फाइल को छूते नहीं. अधिकारी इस तरह हालात का हवाला दे रहे हैं जैसे कि अदालत की अवमानना कोई बाघ हो. मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि वास्तव में मैं बाघ हूं. त्रिपुरा के सीएम ने जिस तरह की टिप्पणी की है, वह अधिकारियों को कानून को ताक पर रखकर काम करने के लिए प्रेरित करेगी. अदालत का डर तो हर राजनेता व अधिकारी को रहना ही चाहिए.