अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की फिक्र लगी है जिसमें उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन से होगा. अमेरिकनों को खुश करने के लिए ट्रम्प ने नए नियम पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके मुताबिक अब अमेरिका में भारतीयों को नौकरी नहीं मिलेगी. ट्रम्प ने कहा कि सस्ते विदेशी श्रमिकों व कर्मचारियों के लिए कड़ी मेहनत करने वाले अमेरिकी नागरिकों को नौकरी से नहीं हटाया जाएगा. अमेरिकी वर्कर्स का हित सबसे पहले है.. उन्होंने पिछले 23 जून को घोषणा की थी कि इस वर्ष के अंत तक किसी भी विदेशी को एच-1बी वीजा और अन्य वर्क वीजा के तहत अमेरिका में नौकरी नहीं दी जाएगी. ट्रम्प की सारी छटपटाहट अपने पुनर्निर्वाचन के लिए है इसलिए वे गोरे अमेरिकनों का तुष्टीकरण करना चाहते हैं लेकिन यह भूल रहे हैं कि अमेरिका की आबादी का 1 प्रतिशत प्रवासी भारतीय हैं जिनमें से बहुतेरों ने ग्रीन कार्ड मिलने के कुछ वर्ष बाद अमेरिकी नागरिकता स्वीकार कर ली है. वे भी तो राष्ट्रपति चुनाव में वोट देंगे.
‘हाउडी मोदी’ आयोजन में ट्रम्प ने वहां रहने वाले भारतीयों का उत्साह व जोश देख ही लिया था. वीजा को लेकर ट्रम्प का रवैया वहां रहने वाले भारतीयों को नागवार लगेगा जो आईटी, चिकित्सा, अध्यापन व अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. वीजा की दिक्कतों के कारण कुछ भारतीय अमेरिका से कनाडा शिफ्ट हो जाते हैं जहां ऐसी बंदिशें नहीं हैं. ट्रम्प के रवैये के विपरीत विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने प्रस्तावित चुनावी घोषणापत्र में कहा है कि अगर वह नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में जीत कर सत्ता में आती है तो ग्रीन कार्ड पर लगी रोक खत्म कर देगी. ग्रीन कार्ड ऐसा दस्तावेज है जो धारक को स्थायी रूप से अमेरिका में रहने का अधिकार देता है. एच-1बी वीजा पर प्रौद्योगिकी कंपनियां प्रतिवर्ष भारत और चीन जैसे देशों के हजारों कर्मचारियों को भर्ती करती हैं.
डेमोक्रेटिक पार्टी 17 से 20 अगस्त तक होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो बाइडेन की उम्मीदवारी को औपचारिक पुष्टि देगी. डेमोक्रेटिक पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया कि हम ऐसा कानून लाएंगे जिससे कोई राष्ट्रपति फिर कभी ऐसा भेदभावपूर्ण प्रतिबंध लागू न कर सके. पार्टी श्रम बाजार की जरूरतों के मुताबिक स्थायी व रोजगार पर आधारित इमीग्रेशन के लिए वीजा देने का समर्थन करती है. आव्रजन की प्रक्रिया को तेज, अधिक प्रभावी और कम खर्च वाली बनाया जाएगा. डेमोक्रेटिक पार्टी यदि सत्ता में आई तो भारत के साथ सामरिक साझेदारी में निवेश करते रहेंगे. इस बात से स्पष्ट है कि एच-1बी वीजा पर बंदिश वाला अमेरिका का निर्णय सिर्फ ट्रम्प के राष्ट्रपति रहने तक ही है.