AUKUS में शामिल नहीं अमेरिका ने भारत को किया दरकिनार

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    अमेरिका की अपनी रणनीति और लक्ष्य हैं. उस पर बहुत ज्यादा भरोसा करना या निर्भर रहना गलत है. अमेरिकी फौज की अफगानिस्तान से वापसी की वजह से ही वहां तालिबान की हुकूमत आई है तथा तालिबान, पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ से भारत के लिए खतरा बढ़ा है. सचमुच आश्चर्य की बात है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रमकता को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका ने एयूकेयूएस (आकस) नामक जो गुट बनाया उसमें भारत और जापान को शामिल नहीं किया जबकि हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में इन दोनों को महत्व दिया जाना चाहिए था.

    ‘आकस’ में आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका की भागीदारी है. जापान तो प्रशांत सागर से लगा प्रमुख देश है लेकिन उसे शामिल न करते हुए ब्रिटेन को लिया गया जिसका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से कोई संबंध ही नहीं है. जो भी हो, यह समझौता इसलिए भारत के लिए हितकर है क्योंकि इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के हमलावर तौर-तरीकों को कंट्रोल किया जा सकेगा. अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं मिलकर चीन के किसी भी दुस्साहस का माकूल जवाब देंगी. इन तीनों देशों की सुरक्षा साझेदारी से चीन भी घबरा गया है. चीन ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इन तीनों देशों को किसी तीसरे पक्ष को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से फैसले नहीं लेने चाहिए. वैसे भारत 4 देशों के संगठन क्वाड का हिस्सा है.

    क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. इसी बीच फ्रांस की अमेरिका से नाराजगी बढ़ गई है क्योंकि फ्रांस और आस्ट्रेलिया के बीच हुए रक्षा सौदे में अमेरिका ने टांग अड़ा दी. फ्रांस ने आस्ट्रेलिया को डीजल चालित पनडुब्बी देने का समझौता किया था लेकिन अमेरिका ने आस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियां देने का ऑफर देकर फ्रांस के हितों को नुकसान पहुंचाया, इस वजह से फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों अमेरिका से खफा हैं.