डाकू रत्नाकर से ‘आदि कवि’ बने महर्षि वाल्मीकि, संस्कृत में रच डाली ‘रामायण’

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भारत ऋषि-मुनियों और संतों में महर्षि वाल्मीकि का नाम शीर्ष पर लिया जाता हैं। हिंदू धर्म में बेहद महान ग्रंथ ‘रामायण’ के संस्कृत में रचयिता ‘महर्षि वाल्मीकि’ की जयंती इस बार 31 अक्तूबर 2020 को मनाया जा रहा है। उन्होंने भगवान राम के मूल्यों का प्रचार किया, साथ ही उन्होंने सामाजिक अन्याय के खिलाफ लोगों को शिक्षित किया। वाल्मीकि जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन के महीने में पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा) मनाया जाता है। 

महर्षि वाल्मीकि का जीवन बड़ा ही रोचक व प्रेरणादायक है। उन्हें ‘आदि कवि’ या पहले कवि के रूप में भी जाना जाता है। माना जता है कि वाल्मीकि जी महर्षि कश्यप और अदिति के नौंवे पुत्र प्रचेता की संतान हैं। उनकी माता का नाम चर्षणी और भाई का नाम भृगु था। बचपन में उन्हे एक भील चुरा ले गया था। जिस कारण उनका लालन-पालन भील प्रजाति में हुआ। इसी कारण वह बड़े हो कर एक कुख्यात डाकू – डाकू रत्नाकर बने और उन्होंने जंगलों में निवास करते हुए अपना काफी समय बिताया।