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    सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में मामला विचाराधीन होने के बाद भी सड़कों पर आंदोलन जारी रखने को लेकर 43 किसान नेताओं को नोटिस दिया था. इसके जवाब में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों या किसान आंदोलन को लेकर कोई भी आंदोलनकारी नेता या संगठन अदालत में नहीं गया. किसान इस मुद्दे को लेकर अदालत में फरियादी नहीं हैं. वे कोर्ट के सामने गुहार लेकर नहीं गए.

    एसकेएम की दलील है कि 3 कृषि कानूनों से संबंधित मामला संवैधानिकता से जुड़ा होने के कारण केंद्र सरकार के दायरे में आता है. संसद में बने कानून को केंद्र सरकार ही निरस्त कर सकती है. यह सुप्रीम कोर्ट का क्षेत्र नहीं है. किसी आंदोलनकारी किसान संगठन ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर किसानों के धरना देने और यातायात बाधित होने से जनता की परेशानी को गंभीरता से लेते हुए आंदोलनकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई थी और मामला न्याय प्रविष्ट होने की बात कही थी. यह भी कहा गया था कि जब सरकार ने कृषि कानून डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित कर दिए हैं तो आंदोलन क्यों हो रहा है?