जो सरकार न कर सकी वह सुप्रीम कोर्ट के कारण हुआ

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    नई दिल्ली : केंद्र सरकार (Central Government) के 3 कृषि कानून पूरी तरह वापस लेने की, मांग को लेकर किसानों (Farmers) ने लगभग 10 माह से दिल्ली-एनसीआर बार्डर पर धरना जारी रखा है. सरकार और उसकी पुलिस (Police) भी आंदोलनकारियों को खदेड़ने में नाकाम रही.

    किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के कुछ देर बाद ही दिल्ली यूपी की गाजीपुर बार्डर पर किसानों ने खुद बैरिकेड हटाकर रास्ता खोल दिया. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एलान किया कि वे गाजीपुर बार्डर पर टेंट हटवा रहे हैं और बॉर्डर भी खाली कर रहे हैं लेकिन अब किसान दिल्ली में संसद पर जाकर धरना देंगे. 

    इसके बाद यूपी और दिल्ली पुलिस मुस्तैद हो गई है. सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एसके कौल और न्या. एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी चुनौती बकाया रहते हुए भी हम किसानों के विरोध करने के अधिकार के खिलाफ नहीं हैं. किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता.

    हमें सड़क जाम के मुद्दे से समस्या है. इसका अब कुछ समाधान निकालना होगा. कानून बहुत स्पष्ट है कि सड़कें क्लीयर होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की पीठ नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें यात्रियों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली की सीमा से हटाने की मांग की गई है. 

    किसान हरियाणा, यूपी, पंजाब को जोड़नेवाली सिंधु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर बार्डर पर धरना दे रहे हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गाजीपुर बार्डर पर किसानों ने रास्ता बंद नहीं किया बल्कि दिल्ली पुलिस ने बैरिकेट लगाकर रास्ता बंद किया हुआ है. अभी भी वहां किसानों को टेंट लगे रहने से आधी सड़क घिरी हुई है.

    इस माह के शुरु में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान यूनियन नेताओं को नोटिस जारी किया था. किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली बहुत सी याचिकाएं बकाया हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ को भेजा जाना चाहिए.