- तहसील निर्माण को बिते 30 साल
कोरची. तेजी से उन्नती व विकास को गति मिलेगी, इस उद्देश से वर्ष 1992 में कुरखेड़ा तहसील से विभक्त कर कोरची तहसील का निर्माण किया गया. तहसील निर्माण के 30 वर्ष में तहसील में विकास की छटा दिखनी चाहिए थी. किंतू अबतक विकास कहीं नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में तहसील में कब विकास का सुरज निकलेगा ऐसा सवाल नागरिकों द्वारा पुछा जा रहा है.
वनसंपदा से संपन्न कोरची तहसील में एक भी बडे उद्योग नहीं है. जिससे तहसील में बेरोजगारी की समस्या है. तहसील का मुख्य रोजगार का साधन धान की खेती है, वह भी प्रकृति के भरोसे निर्भर है. प्रशिक्षण के अभाव में आज भी तहसील में परंपरागत खेती ही की जाती है. प्रतिवर्ष उत्पन्न बढ़ने के बजाएं घटता दिखाई दे रहा है.
कोरची शहर केा जोडनेवाले मार्ग यह राष्ट्रीय महामार्ग व राज्यमार्ग है. किंतू वर्तमान इन सड़कों का परिवर्तन तालाबों में हुआ नजर आ रहा है. सड़क पर जगह जगह बडे बडे गड्डे निर्माण हुए है. किंतू इस ओर संबंधित विभाग की अनदेखी हो रही है. ऐसे में इसी मार्ग से 110 किमी दूरी तय कर एम्बुलंस से जिला अस्पताल में पहुंचना पड़ता है. सड़क की दयनीय स्थिती के चलते मरीज अस्पताल तक पहुचेगा की नहीं इसकी गारंटी भी नहीं है.
नेटवर्क के अभाव में डिजीटल इंडिया का ख्वाब अधुरा
तहसील में नेटवर्क का एकमात्र साधन यानी बीएसएनएल. वह भी कछुआ गति से चलनेवाला. जिससे तहसील डिजिटल इंडिया की ओर कब बढ़ेगी ऐसा सवाल निर्माण हो रहा है. वर्तमान स्थिती में विद्यार्थी, किसान, व्यापारी, कर्मचरी आदि सभी के कार्य ऑनलाईन पद्धति से किए जा रहे है. तहसील के जनता को अपना कार्य करने के लिए दुसरे तहसीलों में जाना पड़ता है.
बिते 2 वर्ष के कोरोना कालावधि में छात्रों के लिए प्रशासन ने ऑनलाइन पद्धति की शिक्षा शुरू की है. कोरची तहसील के अनेक गांवों में नेटवर्क भी नहीं है. जिससे तहसील के विद्यार्थी सहीं में ऑनलाईन शिक्षा से संपन्न होंगे क्या यह सवाल निर्माण हो रहा है. साथ ही तहसील में बिजली की गंभीर समस्या है.
कोरची में 33 केवी सबस्टेशन है. किंतू दिन में अनेक बार बिजली आपूर्ति खंडीत होती है. वर्ष 2015 को कोरची ग्रापं का रूपांतर नप में हुआ. किंतू नागरिकों की उम्मीदों पर अबतक नप खरी नहीं उतरी है.