क्या UP चुनाव पर असर डाल पाएगी, इंदिरा की जेल और प्रियंका की हिरासत में बहुत फर्क

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    कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा में भले ही कांग्रेसजन इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं लेकिन सिर्फ इतने से ही पोती अपनी दादी जैसी प्रभावशाली नहीं बन जाती. इंदिरा का देशव्यापी प्रभाव कुछ अलग ही था. जब जनता पार्टी सरकार के दौरान इंदिरा गांधी को जेल भेजा गया और इमरजेंसी के अत्याचारों को लेकर उनके खिलाफ शाह आयोग की कार्रवाई शुरू हुई तो देश में खलबली मच गई थी. तत्कालीन उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री चौधरी चरणसिंह पर प्रतिशोध की भावना का आरोप लगाया गया था.

    युवक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने संजय गांधी के इशारे पर शाह आयोग की कार्यवाही में उत्पात मचाकर भारी व्यवधान डाला था. आज की स्थित में प्रियंका की इंदिरा गांधी से तुलना हो ही नहीं सकती. इंदिरा की जेल और प्रियंका की हिरासत में बहुत फर्क है. इंदिरा गांधी भी दलितों के नरसंहार के बाद बिहार के बेलछी गांव गई थीं जहां 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था. उन्हें हाथी पर सवार होकर उस दुर्गम गांव जाना पड़ा था क्योंकि वह क्षेत्र 5-5 फुट ऊंची घास से घिरा हुआ था. बेलछी जाने के बाद ही इंदिरा का नेतृत्व फिर चमका और 1980 में पुन: सत्ता में आ गईं.

    किसानों की कुचलकर हत्या के बाद प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाते हुए रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया. वहां उन्होंने काफी नाराजगी जताई. बाद में राहुल गांधी प्रियंका को अपने साथ कार में लखीमपुर ले गए. वैसे लखीमपुर का मुद्दा समूची विपक्षी पार्टियां भुना रही हैं और बीजेपी के लिए यह गले की हड्डी बन गया है.