वर्ग विशेष की पहचान योगी के निशाने पर हैं जो कहते अब्बाजान

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें इस रहस्य का पता लगा है कि राशन का गोलमाल कैसे होता था. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी योग साधना से इसे ज्ञात किया है. जिस बात का पता सीबीआई या आईबी भी नहीं लगा पाई, उस तथ्य को योगी ने पलक झपकते खोज लिया है. उन्होंने ग्रामीणों से पूछा- राशन मिल रहा है कि नहीं? पहले आपका राशन अब्बाजान कहने वाले लोग हजम कर जाते थे.

    निशानेबाज, हम जानना चाहते हैं कि योगी की इस सुविचारपूर्ण टिप्पणी पर आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘बीजेपी के नेता इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं. हर किसी की अपनी संभाषण शैली या अंदाजे-बयां होता है. वैसे पिताजी, पापा, डैडी या अब्बाजान जैसे शब्दों का एक ही अर्थ है. जैसे आप पानी को जल, इनकार को मना, खून को लहू या रक्त कह सकते हैं, वैसे ही पिता को उर्दू में वालिद और आत्मीयतापूर्ण संबोधन में अब्बाजान कहा जाता है. जान शब्द लगा देने से रिश्तों में जान आ जाती है जैसे भाईजान, अम्मीजान, चचाजान, मामूजान, खालाजान, फूफीजान.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अब्बाजान शब्द इस्तेमाल कर योगी ने एक वर्ग विशेष की ओर संकेत किया है. यह एक शाब्दिक महाभारत की शुरुआत है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीआर चोपड़ा के महाभारत सीरियल के संवाद लेखक राही मासूम रजा ने हिंदुस्तान के लोगों को नए-नए संबोधन सिखाए जैसे कि पिताश्री, माताश्री, तातश्री, भ्राताश्री, आचार्यश्री वगैरह! इसके बावजूद यूपी में अब जो चुनावी महाभारत चल रहा है, उसकी बुनियाद ‘अब्बाजान’ शब्द से है. एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ को प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि मुझे कोई अब्बाजान तो कोई चचाजान कहकर पुकारता है.हां, मैं गरीब, कमजोर और दुखी लोगों का अब्बा ही हूं. हमारा सिर्फ वोटों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. चुनाव के बाद से हम पर अत्याचार हो रहे हैं. जेल के बाहर एन्कांउटर किया जाता है. योगी को हराने के लिए ही मैं यहां आया हूं.’’ 

    हमने कहा, ‘‘लोकतंत्र में सभी को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है. प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों से मन की बात करते हैं और कहते हैं कि आयुष्मान भारत, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना सारे देशवासियों के लिए हैं जो आधार कार्ड के नंबर से जुड़ी हैं. उसमें किसी धर्म का भेदभाव हो ही नहीं सकता. दूसरी ओर खुद का वोटबैंक मजबूत करने के इरादे से योगी ने अब्बाजान का उल्लेख कर खुलेआम अपने मन की बात कह दी.’’