भारत के पूर्व हॉकी कप्तान भरत छेत्री का मानना है कि खिलाड़ियों को सफलता के लिए कम उम्र में सही तकनीक सीखना जरूरी है।
बेंगलुरु. भारत के पूर्व हॉकी कप्तान भरत छेत्री का मानना है कि खिलाड़ियों को सफलता के लिए कम उम्र में सही तकनीक सीखना जरूरी है। उन्होंने युवाओं से बेसिक्स पर काम करने का आग्रह किया। भारत के लिए 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीतने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ एक पूर्व खिलाड़ी के रूप में आप जानते हैं कि इस खेल में सफल होने के लिए सही तकनीक का होना कितना महत्वपूर्ण है।”
छेत्री ने कहा, ‘‘ मैं एक गोलकीपर था और हमारे लिए वास्तव में यह महत्वपूर्ण था कि हम बुनियादी तकनीक को सीखें।” उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे समय में हमें सही चीजों के बारे में बाद में पता चला जब हमने दुनिया भर में खेलकर अनुभव हासिल किया। देश में मौजूदा दौर के युवा खिलाड़ियों के लिए फायदे की बात है कि उनके पास सुविधाओं और कोचिंग का बढ़िया स्तर भी मौजूद है।” हॉकी दुनिया भर में विकसित हुई है और छेत्री ने कहा कि वह ‘वास्तव में खुश हैं कि भारत में खेल से जुड़े लोग भी व्यापार को अच्छी तरह से सीख रहे हैं’।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें बहुत सारे कारक शामिल हैं, जैसे कि युवा खिलाड़ियों के लिए अधिक मौके और खेल के सभी मूल सिद्धांतों पर उन्हें जानकारी देना।” उन्होंने कहा, ‘‘ यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि देश में युवा अपने संबंधित करियर से जुड़ी चीजो में जल्दी सही तकनीक सीखे क्योंकि इससे वह दूसरे खिलाड़ियों से बेहतर होंगे।”
पूर्व गोलकीपर ने कहा कि वह अपने करियर में बहुत कुछ हासिल नहीं कर सके लेकिन वह युवा खिलाड़ियों को उनके सपनों को साकार करने में मदद करना चाहते हैं। भारतीय टीम की लंदन 2012 ओलंपिक में अगुवाई करने वाले छेत्री ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो जब भी मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं जो हासिल करना चाहता था उसके मुताबिक सफल करियर नहीं बना पाया।”
एफआईएच अकादमी – हॉकी इंडिया कोचिंग एजुकेशन से ‘एक’ स्तर के इस प्रमाणित पूर्व गोलकीपर ने कहा, ‘‘इसलिए जब मैंने खेल छोड़ने का फैसला किया, तब मैंने युवा खिलाड़ियों के जरिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोचिंग देने का फैसला किया था।” (एजेंसी)