अश्विन ने मोर्गन को दिया फिर जवाब, कहा- यह निजी लड़ाई नहीं थी बल्कि खेल कैसे खेला जाना चाहिए इसे लेकर नजरिए में अंतर था

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    दुबई: भारत के सीनियर आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंडियन प्रीमियर लीग मैच के दौरान इंग्लैंड और कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान इयोन मोर्गन के साथ मैदान पर बहस से जुड़े विवाद को खत्म करने का प्रयास करते हुए कहा कि यह निजी लड़ाई नहीं थी बल्कि खेल कैसे खेला जाना चाहिए इसे लेकर नजरिए में अंतर था। पिछले हफ्ते दिल्ली कैपिटल्स और नाइट राइडर्स के बीच आईपीएल मैच के दौरान ऋषभ पंत के शरीर से टकराकर गेंद के दूर जाने पर अश्विन ने एक रन लेने का प्रयास किया था।

    अश्विन की इसके बाद इंग्लैंड के सीमित ओवरों के कप्तान के साथ बहस हुई थी जिसने भारतीय क्रिकेटर पर खेल भावना के तहत नहीं खेलने का आरोप लगाया था। एमसीसी के नियमों में हालांकि स्पष्ट किया गया है कि बल्लेबाज के शरीर से गेंद लगने के बाद रन लेने की स्वीकृति है। इंग्लैंड को भी इस तरह की घटना में फायदा मिला था जब 2019 विश्व कप फाइनल में बाउंड्री के करीब से फेंकी गई थ्रो बेन स्टोक्स के बल्ले से लगकर चार रन के लिए चली गई थी और अंपायर ने ओवरथ्रो के रन दिए थे और अंतत: इंग्लैंड खिताब जीतने में सफल रहा था।

    अश्विन ने कल रात चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ मुकाबले के बाद कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह निश्चित तौर पर निजी लड़ाई नहीं है और मैं इसे इस तरह देखता भी नहीं हूं। जो लोग ध्यान खींचना चाहते हैं वे ऐसा कर सकते हैं लेकिन मैं इसे इस तरह नहीं देखता।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता था कि गेंद ऋषभ से लगकर गई है। इसलिए मुझे लगा कि उन्होंने फैसला कर लिया था कि वे निशाना बनाएंगे और यही कारण है कि मैंने कहा कि जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया वे सही नहीं थे।”

    अश्विन ने मैच के बाद ट्विटर पर मोर्गन और टिम साउथी को ‘अपमानजनक’ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने और उन्हें ‘खेल भावना’ का पाठ नहीं पढ़ाने को कहा था। अश्विन के आउट होने के बाद तेज गेंदबाज साउथी ने भारतीय गेंदबाजी से कहा था, ‘‘जब आप धोखेबाजी करते हो तो ऐसा ही होता है।” भारतीय स्पिनर को इसके बाद मोर्गन और साउथी की ओर बढ़ते देखा गया था जिसके बाद दिनेश कार्तिक ने बीच बचाव करके मामले को ठंडा किया।

    अश्विन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें समझने की जरूरत है कि सांस्कृतिक रूप से सभी लोग अलग होते हैं, लोगों को जिस तरह इंग्लैंड और भारत में क्रिकेट खेलना सिखाया जाता है, सोचने का तरीका बिलकुल अलग है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यहां कोई गलत है। सिर्फ इतनी सी बात है कि 1940 के दशक के जिस तरह क्रिकेट खेला जाता था आप उम्मीद नहीं कर सकते कि आज भी कोई वैसे ही खेले।” (एजेंसी)