KAMBLI

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    नई दिल्ली. सुबह की एक अच्छी खबर के अनुसार पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली (Vinod Kambli) आज अपना 50वां जन्‍मदिन (Happy Birthday Vinod Kambli) मना रहे हैं। 18 जनवरी 1972 को मुंबई में जन्‍में कांबली को एक समय भारतीय टीम का सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर में से एक थे, मगर उनकी जिंदगी से बाद में इतने विवाद जुड़े कि अब जब भी उनकी बात होती है तो कमाई उपलब्धियों से पहले उनके साथ हुए विवाद सामने आते हैं।

    आपको  जानकार यह ताज्जुब होगा कि, 16 साल की उम्र में कांबली ने सचिन तेंदुलकर (15) के साथ हैरिस शील्ड ट्रॉफी में 664 रनों की नाबाद और बेहतरीन  पार्टनरशिप की थी। उस मैच में कांबली ने 349 रन और सचिन ने 326 रन बनाए थे। लेकिन बड़ी बात यह कि इस मुकाबले में कांबली ने 37 रन देकर 6 विकेट भी चटकाए  थे। शायद यही वजह रही हो किगुरु रमाकांत आचरेकर भी कांबली को सचिन से ज्यादा टैलेंटेड मानते थे। लेकिन आज सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है और दूसरी तरफ कांबली की गिनती भारत के असफल क्रिकेटर्स में होती है।

    यह भी सच है कि विनोद कांबली का भाग्य ने कभी भी उनका साथ नहीं दिया। हम उम्र होने और बेहद प्रतिभाशाली होने के बावजूद तेंदुलकर रणजी में गुजरात के खिलाफ मुंबई की ओर से, 1988 में डेब्यू  कर रहे थे, लेकिन कांबली को उसके लिए अभी एक साल और प्रतीक्षा करनी थी। 1989 में जब तेंदुलकर पाकिस्तान के घातक आक्रमण को बतौर टेस्ट खिलाड़ी अपनी बेहतरीन बैटिंग  से झेल रहे थे तो वहीं विनोद कांबली अंडर-19 यूथ कप में खेल रहे होते थे। 

    खैर फिर उन्‍होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया में खेलने का शानदार मौका हासिल किया था। उन्‍होंने इंटरनेशनल करियर का आगाज भी बड़े ही विस्‍फोटक अंदाज में किया। अपने शुरुआती 7 टेस्ट मैचों में उन्‍होंने चार शतक जड़ दिए थे। यही नहीं वह टेस्ट मैचों में सबसे तेज एक हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। जी हाँ, वह सबसे जल्दी हजार रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। उनसे तेज केवल हर्बर्ट सटक्लफ, डॉन ब्रेडमैन और नील हर्वे थे।मगर फिर उनके सितारे उलटे चलने गए और एक उगता सूरज चमक बिखेरने से पहले ही डूब गया।

    आपको यह जानकार भी ताज्जुब होगा कि विनोद कांबली की टेस्ट में औसत सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज बल्लेबाजों से भी कहीं अधिक है। वहीं जिन बल्लेबाजों ने 20 टेस्ट पारियों या उससे अधिक में बल्लेबाजी की है, कांबली का औसत उनमें सबसे अधिक (54.20) है।

    यघपि कांबली के बारे में यह भी कहा जाता है कि अचानक मिली सफलता से उन्हें जो स्टारडम मिला था, वे  उसे वह संभाल नहीं पाए। फिर उनकी कुछ खराब आदतों और बुरे व्यवहार ने स्थिति को और भी उनके हाथों  से बहार  कर दिया। यह सच है कि उन्‍होंने टीम से बाहर होने के बाद करीब 9 बार वापसी की थी, लेकिन वह कभी भी अपनी जगह को पक्की नहीं रख  पाए।

    हालाँकि  कांबली ने बाद में यह आरोप भी लगाया कि उनके कप्तान, टीम के अन्य साथी, चयनकर्ता और क्रिकेट बोर्ड की वजह से उनका करियर बर्बाद हुआ था। कारण जो भी रहा हो,लेकिन यह जरुर था कि, विनोद कांबली चाहते तो वे भारतीय क्रिकेट का एक और ध्रुव तारा बन सकते थे। फिर कौन जानें तब हमारे पास क्रिकेट के दो भगवान होते।