Sreejesh becomes co-chairman of FIH Athlete Committee, Hockey India congratulates
श्रीजेश (File Photo)

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    नई दिल्ली: ओलंपिक में पदक के चार दशक के सूखे को खत्म करने के बाद भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के सपने को पूरा करने की कोशिश करेंगे। श्रीजेश ने अपने करियर की तुलना केरल में बनने वाले लोकप्रिय व्यंजन ‘अवियल (13 सब्जियों के मिश्रण से बनने वाला)’ से  करते हुए कहा कि उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। 

    उम्र के 34वें पड़ाव पर पहुंच चुके श्रीजेश अपने करियर के आखिरी चरण में कुछ और उपलब्धियां हासिल करना चाहते हैं । इसमें दो साल बाद पेरिस ओलंपिक का पदक उनका सबसे बड़ा सपना है। फिलहाल उनका पूरा ध्यान अपने तीसरे और आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों पर है। श्रीजेश ने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘जिंदगी हमेशा एक जैसी नहीं होती। यह उतार-चढ़ाव से भरी होती है। मैंने कुछ बहुत अच्छे और कुछ बहुत बुरे मैच खेले हैं। मेरे करियर की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन धीरे-धीरे मैं ऊपर चढ़ते हुए भारत का शीर्ष गोलकीपर बनने में सफल रहा।”

    उन्होंने कहा, ‘‘लंदन ओलंपिक में निराशाजनक अभियान से लेकर तोक्यो में कांस्य पदक जीतने के बीच, मैंने 2018 में टीम का नेतृत्व भी किया। एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) चोट के कारण मेरा करियर लगभग खत्म हो गया था। केरल में एक प्रसिद्ध व्यंजन है जिसे हम ‘अवियल’ कहते है। यह 13 सब्जियों के मिश्रण से बनता है और मैं अपने करियर की तुलना ‘अवियल’ से कर सकता हूं।”

    एशियाई खेल 2014 में टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला यह खिलाड़ी अब अपने लिये छोटे लक्ष्य बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘युवा खिलाड़ी के तौर पर मैं चार साल की योजना बनाता था। अब मैं अपने लिए छोटे लक्ष्य बनाता हूं। अभी मेरी प्राथमिकता राष्ट्रमंडल खेल है, मेरा अगला लक्ष्य विश्व कप होगा। जब आप छोटे समय का लक्ष्य रखते हैं तो यह आपको प्रदर्शन, फिटनेस और मानसिक एकाग्रता पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।”

    जब उनसे पेरिस ओलंपिक में खेलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य की ओर देखें तो मेरे लिए पेरिस संभव है। मैं एफिल टॉवर देख सकता हूं लेकिन यह आसान नहीं होने वाला है। मुझे विश्वास है कि ये छोटे-छोटे लक्ष्य मुझे वहां तक पहुंचने में मदद करेंगे।” उन्होंने कहा, ‘‘एक और राष्ट्रमंडल खेलों में खेलना मुश्किल होगा क्योंकि मुझे  नहीं लगता कि तब तक मेरी फिटनेस साथ देगी लेकिन आप मुझे एक कोच के तौर पर वहां देख सकते है।”

    श्रीजेश ने कहा कि गोलकीपर पुरानी शराब की तरह होते है जो समय के साथ और बेहतर होते जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘करियर की शुरुआत में मैं ज्यादा गोल नहीं रोक पाता था लेकिन टीम में दूसरे गोलकीपर के रूप में मुझे काफी अनुभव मिला। मैंने देवेश चौहान, एड्रियन डिसूजा और भरत छेत्री की देखरेख में काफी कुछ सीखा।” 

    आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत पोडियम (शीर्ष तीन टीम) पर होगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम का प्रदर्शन पदक का रंग तय करेगा।  उन्होंने कहा, ‘‘टीम के पास निश्चित रूप से फाइनल में पहुंचने की क्षमता है। हम जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं, हम निश्चित रूप से 2014 से बेहतर परिणाम के साथ आ सकते हैं। जब आप सेमीफाइनल और फाइनल खेल रहे होंगे तो यह उस दिन के प्रदर्शन पर काफी निर्भर करेगा। निश्चित रूप से इस टीम के पास पोडियम पर रहने की क्षमता है।” (एजेंसी)