Parupalli Kashyap Birthday

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    नई दिल्ली. पारुपल्ली कश्यप भारत के एक बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में पुरुष एकल के क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया, ऐसा करने वाले वे भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी थे। जिसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में, उन्होंने पुरुष एकल में स्वर्ण पदक जीता। कश्यप 2013 संस्करण में इंडियन बैडमिंटन लीग टीम, बंगा बीट्स के लिए आइकन प्लेयर थे।

    पारुपल्ली कश्यप का जीवन परिचय

    पारुपल्ली कश्यप का  जन्म 8 सितंबर 1986, दिन सोमवार को हैदराबाद में हुआ था। पारुपल्ली आज अपना 35 वां जन्म दिन मना रहे है। पिता उदय शंकर और माता सुभद्रा के घर जन्मे पारुपल्ली बैडमिंटन के एक अच्छे खिलाड़ी साबित हुए। 11 साल की उम्र में, पारुपल्ली ने पहली बार भारत के हैदराबाद में एस.एम. आरिफ द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में दाखिला लिया। बाद में पारुपल्ली परिवार समेत बैंगलोर चले गए वहां उन्होंने पादुकोण अकादमी में प्रवेश लिया। 2004 में वो वापस हैदराबाद चले गए। कुछ चिकित्सीय परीक्षणों के दौरान पारुपल्ली को अपने अस्थमा बीमारी का पता चला। हालांकि उचित दवा के प्रयोग से उनकी स्थिति में सुधार होने लगा। उन्होंने पूर्व ऑल इंग्लैंड ओपन चैंपियन पुलेला गोपीचंद के अधीन गोपीचंद अकादमी में अपना प्रशिक्षण जारी रखा। पारुपल्ली ने 14 दिसंबर 2018 को एक निजी समारोह में साथी बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के साथ शादी कर लिए थे।

    बैडमिंटन खेल का सफर

    2005 में पारुपल्ली ने आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और राष्ट्रीय जूनियर ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में लड़कों का एकल खिताब जीता।  2006 के बाद से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेना शुरू कर दिया। वर्ष 2006 में हांगकांग ओपन में उन्होंने प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में विश्व के तत्कालीन 19 वें नंबर के खिलाड़ी प्रेज़ेमिस्लो वाचा को हराया। हालांकि अगले दौर में पारुपल्ली भी हार गए। कुछ महीने बाद उन्होंने वाचा को फिर से बिटबर्गर ओपन में हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। उनकी विश्व रैंकिंग में 100 के बाहर से 64 तक सुधार हुआ। पारुपल्ली के कोच गोपीचंद इस जीत से बहुत खुश थे। पारुपल्ली को 2006 में एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। 33वें राष्ट्रीय खेलों में, पारुपल्ली ने तत्कालीन राष्ट्रीय चैंपियन चेतन आनंद को हराकर आंध्र प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2006-2007 के बीच पारुपल्ली ने कुछ राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी जीत हासिल की।

    2009 में पारुपल्ली डच ओपन और 2009 सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में सेमीफाइनलिस्ट थे। वर्ष 2009 में ही पारुपल्ली थाईलैंड इंटरनेशनल, स्पेनिश ओपन और टूलूज़ ओपन में उपविजेता रहे। 2009 के सिंगापुर सुपर सीरीज में पारुपल्ली सेमीफाइनलिस्ट थे। वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक में पुरुष एकल के क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया, ऐसा करने वाले वे भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी थे। पारुपल्ली 2013 संस्करण में इंडियन बैडमिंटन लीग टीम, बंगा बीट्स के लिए आइकन प्लेयर थे।

    पुरस्कार और सम्मान

    • वर्ष 2012 में पारुपल्ली को भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
    • वर्ष 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में, उन्होंने पुरुष एकल में स्वर्ण पदक जीता था
    • भारतीय बैडमिंटन संघ द्वारा ₹2.5 मिलियन नकद पुरस्कार से सम्मानित किए गए
    • तेलंगाना सरकार द्वारा ₹5 मिलियन नकद पुरस्कार से सम्मानित किए गए