My ultimate goal is Paris Olympics, says badminton ace PV Sindhu

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    बर्मिंघम: ओलंपिक खेलों में दो बार की पदक विजेता पीवी सिंधू (PV Sindhu) का अंतिम लक्ष्य पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतना है लेकिन वह वर्तमान राष्ट्रमंडल खेलों का उपयोग अगले महीने होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए मंच के तौर पर करना चाहती हैं। सिंधू ने पिछले दो राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games 2022) में रजत और कांस्य पदक जीते थे और इस बार उनका लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना है। इसके बाद वह तोक्यो में 22 से 28 अगस्त के बीच होने वाली विश्व चैंपियनशिप में अपना खिताब फिर से हासिल करने की कोशिश करेंगी।

    सिंधू (PV Sindhu) ने यहां पीटीआई से कहा, ‘‘ मेरा अंतिम लक्ष्य 2024 में पेरिस ओलंपिक है लेकिन अभी मेरा ध्यान राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने और विश्व चैंपियनशिप पर है।”उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रमंडल खेलों में चैंपियन बनना बड़ी उपलब्धि है। आखिर ये खेल चार साल में एक बार होते हैं। अपने देश का प्रतिनिधित्व करना निश्चित रूप से गर्व की बात है। मुझे इस बार स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद है।”

    हाल में सिंगापुर ओपन का खिताब जीतने वाली सिंधू पिछली कुछ प्रतियोगिताओं में ताई जु यिंग की चुनौती से पार पाने में नाकाम रही। उन्होंने चीनी ताइपे की विश्व में नंबर दो खिलाड़ी को आखिरी बार 2019 में विश्व चैंपियनशिप में हराया था लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी इस प्रतिद्वंदी के खिलाफ लगातार सात मैच गंवाए हैं जिनमें पिछले साल विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल की हार भी शामिल है। वह स्पेन की कारोलिना मारिन और कोरिया की आन से यंग के खिलाफ भी जूझती रही हैं।

    सिंधू (PV Sindhu) ने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं है कि मैं उन्हें हरा नहीं सकती। प्रत्येक मैच मायने रखता है। यह उस दिन के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। प्रत्येक खिलाड़ी की खेल की अपनी शैली होती है। आपको उसी हिसाब से अपनी रणनीति तय करनी होती है क्योंकि जैसे मैंने पहले कहा था कि उस दिन के प्रदर्शन पर काफी कुछ निर्भर करता है।”

    उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा कई बार हुआ है जबकि वरीयता प्राप्त खिलाड़ी पहले दौर में बाहर हो गई इसलिए यह काफी हद तक कोर्ट की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।” सिंधू ने कहा कि उनकी सफलता का राज लगातार सीखते रहना है।

    उन्होंने कहा, ‘‘ यहां तक कि मुझे भी बहुत अधिक अभ्यास की जरूरत पड़ती है। मुझे भी हर दिन अपने स्ट्रोक पर ध्यान देना पड़ता है। मैं ऐसा नहीं सोच सकती कि मैंने पदक जीता है और अच्छा प्रदर्शन किया है। यह मायने नहीं रखता। यह अतीत की बातें हैं। आपको हर दिन कुछ नयी सीख लेनी पड़ती है। यह प्रक्रिया सतत चलती रहती है।” (एजेंसी)