- 41 साल बाद भारत ने हॉकी में जीता मेडल .
टोक्यो. एक बड़ी खबर के अनुसार आज टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में आज भारत की पुरुष हॉकी टीम (Indian Hockey Team) ने जर्मनी (Germany) को हरा कांस्य पदक अपने कब्जे में ले लिया है। जी हाँ आज भारत ने पुरुष हॉकी में 4 दशक का सूखे को ख़त्म करते हुए कांस्य पदक जीत लिया है। भारत ने जर्मनी को 5-4 से मात दी। टीम इंडिया की इस मुकाबले में खराब शुरुआत भले रही हो लेकिन फिर उसने लगातार गोल दागकर अपनी शानदार वापसी की और कांस्य पदक पर अपना कब्ज़ा कर लिया है।
#TokyoOlympics | Indian men’s Hockey team brings #Bronze medal home after they beat Germany, 5-4 pic.twitter.com/KzkIv1skNc
— ANI (@ANI) August 5, 2021
आज सिमरनजीत सिंह के दो गोल की बदौलत भारत ने दो बार पिछड़ने के बाद जोरदार वापसी करते हुए गुरुवार को यहां रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे कांस्य पदक के प्ले आफ मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीता। आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही।
After 41 yrs wait..! Golden moment for Indian Hockey&Indian Sports! Finally, long wait is over as India defeated Germany to win Hockey Men’s Olympic Bronze medal at Tokyo Olympics. India is in complete celebration mood! Congratulations to our Hockey players:Union Min Kiren Rijiju
— ANI (@ANI) August 5, 2021
भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट) ने दो जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह ने एक-एक गोल किया। दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थी।
भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही। आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजूद 2-5 से हार झेलनी पड़ी। भारतीय टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है।
बता दें कि आज भारतीय हॉकी टीम के पास 41 साल बाद ओलंपिक पदक हासिल करने का मौका था। आज भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पास इतिहास दोहराने का मौका था। विदित हो कि भारतीय टीम को सेमीफाइनल में भले ही बेल्जियम के हाथों हार का सामना करना पड़ा लेकिन उसके पास कांस्य पदक जीतने का आज मौका था। हालांकि उसके लिए टीम इंडिया को कांस्य पदक प्लेऑफ मुकाबले में आज जर्मनी की चुनौती से पार पाना था, जो उसने बखूबी कर दिखाया।
Punjab: Family members of hockey player Gurjant Singh in Amritsar glued to their tv set as team India is playing against Germany for bronze medal at #TokyoOlympics
We’re happy as they are playing well. We’re hoping that our team will win today: Sukhjinder Kaur, Singh’s mother pic.twitter.com/ky7Oo9pBmp
— ANI (@ANI) August 5, 2021
#WATCH | Manipur: Family members of hockey player Nilakanta Sharma in Imphal cheer for team India playing Men’s Hockey match against Germany at Tokyo #Olympics pic.twitter.com/NrG6MnWv6T
— ANI (@ANI) August 5, 2021
बात अगर मैडल की करें तो भारतीय हॉकी का इतिहास बेहद ही शानदार रहा है। लेकिन ओलंपिक खेलों में भारत 1980 के बाद से ही कोई मेडल नहीं जीत पाया है। अज भारत 41 सालों के लंबे अंतराल के बाद मेडल की रेस में शामिल था। भारतीय मेंस हॉकी टीम के पास पुराने दौर को वापस लाने का अच्छा मौका था। जिसे इस टीम ने बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया।
GET. SET. CHAK DE. 🇮🇳
Let’s do this.
🇩🇪 0:0 🇮🇳https://t.co/FEfTJeTHxK#GERvIND #HaiTayyar #IndiaKaGame #Tokyo2020 #TeamIndia #TokyoTogether #StrongerTogether #HockeyInvites #WeAreTeamIndia #Hockey pic.twitter.com/WhOPVq94Eu
— Hockey India (@TheHockeyIndia) August 5, 2021
गौरतलब है कि टोक्यो ओलंपिक का आज 14वां दिन है। इसके पहले भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने महिला 53 किग्रा वर्ग के पहले दौर में स्वीडन की सोफिया मेगडालेना मैटसन को हराकर क्वार्टर फाइनल में पहुँच गयी है। इसके साथ ही जर्मनी के फ्लोरियन वेलब्रोक ने पूल में कांस्य पदक के बाद गुरुवार को यहां तोक्यो ओलंपिक की पुरुष 10 किमी मैराथन तैराकी का स्वर्ण पदक जीता। वेलब्रोक ने एक घंटे 48 मिनट और 33.7 सेकेंड के समय के साथ 25.3 सेकेंड की बढ़त से सोने का तमगा अपने नाम किया। बीजिंग 2008 खेलों में इस स्पर्धा को शामिल किए जाने के बाद यह जीत का सबसे बड़ा अंतर है।