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    नयी दिल्ली. ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का दो बार हिस्सा रहे केशव दत्त (Keshav Dutt) का आयु संबंधित बीमारियों के कारण बुधवार को निधन हो गया। वह 95 बरस के थे।पूर्व सेंटर हाफबैक दत्त ने कोलकाता के संतोषपुर में अपने निवास पर देर रात साढ़े बारह बजे अंतिम सांस ली। दत्ती हॉकी में भारत के स्वर्णिम युग का हिस्सा थे।

    वह 1948 ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा थे जहां भारत ने लंदन के वेम्बले स्टेडियम में घरेलू टीम ब्रिटेन को 4-0 से हराकर स्वतंत्रता के बाद पहली बार हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। लंदन ओलंपिक से पहले दत्त महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की अगुआई में 1947 में पूर्वी अफ्रीका के दौरे पर भी गए। लाहौर में 29 दिसंबर 1925 को जन्मे दत्त हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का भी हिस्सा रहे। भारतीय टीम ने इन खेलों के फाइनल में नीदरलैंड को एकतरफा मुकाबले में 6-1 से हराकर लगातार पांचवीं बार ओलंपिक खिताब जीता।

    हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने बयान में कहा, ‘‘आज तड़के दिग्गज हाफबैक केशव दत्त के निधन के बारे में सुनकर हम सभी को काफी दुख हुआ। वह 1948 और 1952 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीमों के एकमात्र जीवित सदस्य थे और आज ऐसा लग रहा है कि एक युग का अंत हो गया।” उन्होंने कहा, ‘‘हम सब स्वतंत्र भारत के लिए ओलंपिक में उनके यादगार मुकाबलों की शानदार कहानियां सुनते हुए बड़े हुए और उन्होंने देश में हॉकी खिलाड़ियों की पीढ़ियों को प्रेरित किया।”

    उन्होंने कहा, ‘‘हॉकी इंडिया उनके निधन पर शोक जताता है और महासंघ की ओर से मैं उनके परिवार के प्रति संवेदानाएं जाहिर करता हूं।” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनके निधन पर शोक जताया। ममता ने ट्वीट किया, ‘‘हॉकी जगत ने आज एक वास्तविक महान खिलाड़ी को खो दिया। केशव दत्त के निधन से दुखी हूं। वह 1948 और 1952 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीमों का हिस्सा थे। भारत और बंगाल के चैंपियन। उनके परिवार और मित्रों के प्रति संवेदनाएं। ” भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे दत्त ने 1951-1953 और फिर 1957-1958 में मोहन बागान की हॉकी टीम की अगुआई की। उनकी मौजूदगी वाली मोहन बागान की टीम ने 10 साल में हॉकी लीग का खिताब छह बार और बेटन कप तीन बार जीता। उन्हें 2019 में मोहन बागान रत्न से नवाजा गया और वह यह सम्मान पाने वाले पहले गैर फुटबॉलर बने।