भोपाल. कोरोना वायरस महामारी के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रदेश की पूर्ववर्ती कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के अंतिम छह माह के शासनकाल के दौरान लिए गये निर्णयों की समीक्षा के लिये मंत्री समूह का गठन किया है।
इस पर कांग्रेस ने चौहान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना वायरस की महामारी को लेकर अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए यह समिति गठित की गई है। मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार शाम को बताया, ”मध्यप्रदेश सरकार ने 20 मार्च, 2020 से छह माह पूर्व की अवधि में पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के दौरान राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णयों की समीक्षा के लिये आज मंत्री समूह का गठन किया।”
उन्होंने कहा, ”इस मंत्री समूह में गृह तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जल-संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल शामिल हैं।” मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, ”कांग्रेस हर तरह की समीक्षा व जांच का स्वागत करती है, लेकिन अभी समय कोरोना वायरस से निपटने का है, राजनीति के लिये तो बहुत समय है।” उन्होंने कहा, ”इस महामारी के संकट के दौरान सिर्फ अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए इस तरह का निर्णय लिया गया है।” सलूजा ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता सिर्फ़ कोविड-19 होनी चाहिए।
भाजपा सरकार से प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण संभल नहीं रहा है। प्रदेश में संक्रमित लोगों का व मौतों का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने इस समिति के सदस्यों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बेहद आश्चर्य है कि इसमें से एक सदस्य (नरोत्तम मिश्रा) के खिलाफ पूर्व में ई-टेंडर से लेकर स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटालों में उनकी भूमिका को लेकर जांच चल रही है। सलूजा ने कहा कि वहीं, एक सदस्य (तुलसी सिलावट) पिछली कमलनाथ सरकार में खुद मंत्री थे और कोरोना वायरस की महामारी के दौरान भगोड़े साबित हुए थे। जिनके ऊपर कोरोना वायरस महामारी का पाप है, जो प्रदेशवासियों को महामारी के दौरान छोड़कर बेंगलुरु के फाइव स्टार रिसोर्ट में चले गए थे, वह समीक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा कि समिति के एक अन्य सदस्य पर रेत उत्खनन को लेकर पूर्व की शिवराज सरकार में कई तरह के आरोप लगे थे। सलूजा ने कहा कि समिति को शिवराज सरकार के डेढ़ माह के कार्यकाल के ट्रांसफर उद्योग से लेकर ग्वालियर के आटा घोटाले एवं इंदौर के नकली पीपीई किट व मास्क घोटाले की भी जांच करनी चाहिए। (एजेंसी)