CBSE announced dates for pending board exams, examinations to be held between July 1-15

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नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि परीक्षा में नकल और कदाचार प्लेग एवं महामारी की तरह है, जो समाज और देश की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर देता है। अदालत ने कुछ ‘‘नोट्स” के साथ एक छात्रा के पाये जाने के बाद बी.ए.अर्थशास्त्र (ऑनर्स) के उसके समूचे पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द करने के दिल्ली विश्वविद्यालय के फैसले को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने इस सिलसिले में एक महिला द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में बी.ए. अर्थशास्त्र (ऑनर्स) की अंतिम वर्ष की छात्रा है।

छात्रा ने दिसंबर 2019 में हुए पांचवें सेमेस्टर में चार पेपर की परीक्षा के परिणाम घोषित करने की मांग की थी। अदालत ने 20 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, ‘‘मौजूदा मामला निश्चित रूप से एक ऐसा विषय है जो याचिकाकर्ता (महिला) के पक्ष में विशेष रूप से असाधारण संवैधानिक उपायों का इस्तेमाल करने में हस्तक्षेप की मांग नहीं करता, जिसने अनैतिक साधनों का सहारा लिया और इस अदालत के प्रति सच्ची नहीं रही। तदनुसार, याचिकाकर्ता को दी गई सजा की पुष्टि करते हुए मौजूदा रिट याचिका खारिज की जाती है।”

मामले की सुनवाई की शुरूआत में अदालत ने कहा कि परीक्षा में नकल और कदाचार करना प्लेग और महामारी की तरह है, जो समाज और किसी देश की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर सकता है तथा यदि इसे नहीं रोका गया या इसके प्रति नरमी दिखाई गई तो इसके घातक परिणाम होंगे। अदालत ने कहा कि यह मामला इस बात का भी उदाहरण है कि किसी विद्यार्थी के पहले की मेधा उस वक्त पूरी तरह से अप्रासंगिक हो जाती है जब इस तरह के कदाचार पर विचार किया जाता है।

अदालत ने यह भी कहा कि वह छात्रा द्वारा दी गई झूठी दलील और गलत हलफनामे को लेकर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर आगे बढ़ सकती है। लेकिन, महिला की उम्र और उसके अब भी विद्यार्थी होने को देखते हुए उच्च न्यायालय ने उसके खिलाफ और कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है। छात्रा ने अपनी याचिका में कहा था कि वह सभी परीक्षाओं में शामिल हुई थी लेकिन तीन दिसंबर 2019 को हुए ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार’ परीक्षा में वह ट्रैफिक जाम के चलते देर हो गई और उसके ‘स्टेशनरी पाउच’ में भूल वश कुछ नोट्स रह गये थे।

छात्रा ने दावा किया कि जब उसे यह महसूस हुआ तब वह निरीक्षक के पास नोट्स सौंपने गई लेकिन उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया और जब उसे नयी उत्तर पुस्तिका दी गई, तब तक परीक्षा का समय समाप्त हो चुका था। वहीं, निरीक्षक ने आरोप लगाया था कि वह परीक्षा में नकल और कदाचार कर रही थी। छात्रा ने अदालत से कहा कि उसे पहले एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और 12 मार्च को उसकी पूरी परीक्षा को रद्द मान लिया गया। (एजेंसी)