Yoga, Meditation and covid Volunteer Certificate Course at Isolation Centers in Odisha

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नई दिल्ली. ओडिशा में देश भर से लौट रहे प्रवासी मजदूरों समेत पृथकवास केंद्रों में रहने वाले लोगों के लिये योग, ध्यान और कोविड वालिंटियर सर्टिफिकेट कोर्स के साथ ही पारिश्रमिक के बदले विभिन्न गतिविधियों में योगदान शुरू किया गया है जिससे उन्हें सार्थक तरीके से व्यस्त रखा जा सके । सरकारी आंकड़ों के अनुसार मंगलवार तक करीब दो लाख लोग ओडिशा लौट चुके हैं । उन्हें देश भर के करीब 15000 पृथकवास केंद्रों पर रखा गया है । ये 14 या 21 दिन की पृथकवास अवधि के दौरान अवसाद से निकलने और समय बिताने के लिये विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे । राज्य सरकार ,पंचायती राज तथा पेयजल विभाग के प्रमुख सचिव देवरंजन कुमार सिंह ने बताया कि वे इन लोगों को मनरेगा से जोड़ने की संभावना भी तलाश रहे हैं ।

उन्होंने भाषा से कहा ,‘‘ हम इन्हें पृथकवास केंद्र नहीं बल्कि अस्थायी चिकित्सा शिविर कहते हैं । इन शिविरों में लोगों को व्यस्त रखने के लिये कई गतिविधियां शुरू की गई हैं जैसे तनाव और अवसाद से निकालने के लिये योग और ध्यान । इसके अलावा जो विभिन्न गतिविधियों में स्वैच्छिक योगदान देता है मसलन खाना पकाने, सफाई या बागवानी वगैरह में तो उसे प्रतिदिन 150 रूपये दिये जायेंगे । मैं इन्हें मनरेगा से जोड़ने की संभावना भी तलाश रहा हूं क्योंकि सारे केंद्र स्कूलों में हैं । वहां इन्हें रोजाना 207 रूपये मिल सकते हैं ।”

उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों का ‘स्किल प्रोफाइल’ भी बनाया जा रहा है जो दीर्घकालीन रणनीति बनाने में काम आयेगा । श्रम, महिला और बाल विकास सचिव और कोविड प्रबंधन से जुड़े सभी प्रशिक्षण मॉड्यूल की प्रभारी अनु गर्ग ने दस दिवसीय वालिंटियर कोर्स के बारे में बताया जो पिछले सप्ताह शुरू हुआ और जल्दी ही इसका आनलाइन संस्करण भी शुरू किया जायेगा । उन्होंने कहा,‘‘ यह पृथकवास केंद्रों में लोगों को कोरोना महामारी के बारे में मूलभूत जानकारी देने के लिये है ताकि यहां से लौटकर वे कोरोना वालिंटियर बन सकें । इससे उनके प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया भी नहीं रहेगा और उन्हें सम्मान मिलेगा।” उन्होंने कहा ,‘‘ हमने दस दिन का कोर्स बनाया है और इन केंद्रों पर जाने वाले स्वास्थ्यकर्मी ही क्लास ले रहे हैं । इसके लिये वीडियो और सारी सामग्री उड़िया और अंग्रेजी में है । इसमें कोरोना के कारण, बचाव के उपाय, पृथकवास क्यों जरूरी है, हाथ धोने का सही तरीका, मास्क बनाना वगैरह सिखाया जा रहा है ।”

गर्ग ने कहा कि पृथकवास की अवधि पूरी होने पर उन्हें कोर्स सर्टिफिकेट दिया जायेगा जो इस बात का सबूत होगा कि उन्हें कोरोना महामारी के बारे में मूलभूत जानकारी है और वे वालिंटियर बन सकेंगे । उन्होंने बताया ,‘‘हम जल्दी ही घरों में पृथकवास में रह रहे लोगों के लिये भी उड़िया और अंग्रेजी में आनलाइन कोर्स शुरू करेंगे । इसके लिये एक मोबाइल ऐप लाने पर भी विचार चल रहा है ।” इन गतिविधियों के बारे में लोगों की प्रतिक्रिया पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी यह शुरूआती दौर में है लेकिन उन्हें सफलता की पूरी उम्मीद है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हमने जिलों में मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग पूरी कर ली है जो केंद्रों पर जाकर लोगों को ट्रेनिंग देंगे । अभी चार पांच दिन पहले ही इसे मंजूरी मिली है ।” वहीं सिंह ने कहा कि कठिनाई से यहां तक पहुंचे लोगों को तनाव और सदमे से निकलने में थोड़ा समय लगेगा । उन्होंने कहा ,‘‘ हमें यह समझना होगा कि वे किन हालात में यहां पहुंचे हैं । वे सभी भारी तनाव और सदमे में हैं । कइयों ने विभिन्न गतिविधियों में योगदान की इच्छा जताई है और यह आंकड़ा बढे़गा क्योंकि उन्हें भी समय अच्छे से काटना है ।” इस कार्यक्रम पर भीषण चक्रवात ‘अम्फान’ का असर पड़ने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा ,‘‘ तटवर्ती जिलों पर ही चक्रवात का असर पड़ा है और पृथकवास केंद्र तो पूरे प्रदेश में हैं, चार या पांच ही जिलों में नहीं ।'(एजेंसी)