A case was also registered against Sant Kalicharan Maharaj in Akola, Maharashtra, the derogatory remark was made against Mahatma Gandhi

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    नई दिल्ली: धर्म संसद में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में संत कालीचरण महाराज (Saint Kalicharan Maharaj) के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। एएनआई के अनुसार, 26 दिसंबर को रायपुर (Raipur) में आयोजित ‘धर्म संसद’ में महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में संत कालीचरण महाराज के खिलाफ छत्तिश्गढ़ में पुलिस ने मामला दर्ज किया है। 

    दरअसल, रविवार को एक आयोजन के दौरान धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उनके बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद से उनके बयान को लेकर चौतरफा आलोचना की जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने कालीचरण महाराज की आलोचना की है।

    इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संत कालीचरण महाराज की कथित टिप्पणियों की आलोचना की है और महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए सोमवार को कहा कि, उनके विचारों को कैद नहीं किया जा सकता। वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल ने हिंदू धार्मिक नेताओं के एक वर्ग द्वारा रविवार को रायपुर में एक धार्मिक समारोह के दौरान महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा किए जाने की घटना के मद्देनजर यह टिप्पणी की। 

    कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, मुझे यातना दे सकते हैं, इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप मेरे विचारों को कभी कैद नहीं कर सकते।” 

    वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा, ‘उनके द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में इतना बड़ा बयान दिया गया है लेकिन भाजपा नेताओं की तरफ़ से मामले में एक भी बयान नहीं आया है। भाजपा मौन है। ये धरती शांति की है। यहां पर उत्तेजक और हिंसात्मक बातें बर्दाश्त नहीं की जाती है। राष्ट्रपिता के बारे में इस प्रकार की बातें बोलना निश्चित रूप से दर्शाता है कि उनकी मानसिक स्थिति क्या है। जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। जितने भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं वह उठाए जाएंगे। 

    उल्लेखनीय है कि रायपुर के रावणभाठा मैदान में दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ के अंतिम दिन हिंदू धार्मिक नेता कालीचरण महाराज ने अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपिता के खिलाफ कथित ‘‘अपमानजनक” टिप्पणी की थी। उन्होंने लोगों से कहा था कि उन्हें धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार के मुखिया के तौर पर चुनना चाहिए। इससे पहले, यति नरसिंहानंद गिरि ने गोडसे को सत्य और धर्म का प्रतीक बताते हुए उसकी प्रशंसा की थी।