kanker
Pic: Social Media

Loading

नई दिल्ली/कांकेर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से मिल रहे एक अनोखे मामले के अनुसार, यहां के कांकेर से एक हैरान करने मामले के अनुसार, यहां एक फूड ऑफिसर के मोबाइल को तालाब से बाहर निकालने के लिए तालाब के ओवर फ्लो टैंक को ही खाली कर दिया गया। आपको बेशक सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह पूर्णत: सच है। दरसल जिले के पखांजुर के खेरकट्टा परलकोट तालाब में एक फूड अधिकारी सवा लाख रुपए का फोन गिर गया। ये घटना बीते सोमवार की है जिसके बाद फोन को निकालने के लिए वृहद अभियान शुरू हुआ।

इसके लिए पहले गोताखोरों ने खुद पानी में उतरकर फोन को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। जिसके बाद पंप लगाकर तालाब के ओवर फ्लो टैंक को ही पूरी तरह से खाली किया गया, तब जाकर बीते गुरुवार सुबह फोन को निकाला गया। फूड ऑफिसर राजेश विश्वास को अपना फोन तो मिल गया, लेकिन तालाब में गिरे फोन को बाहर निकालने के लिए जो जतन किए गए हैं वो पूरे इलाके और प्रशासनिक महकमें में चर्चा का विषय बन गया है।

Courtsey: Twitter/@sirajnoorani

सेल्फी लेते हुए तालाब में गिरा फोन

मामले पर जब जानकारी निकाली गई तो पता चला, बीते सोमवार को फूड ऑफिसर राजेश विश्वास अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने खेरकट्टा परलकोट तालाब गए थे। यहां राजेश तालाब के पास खड़े होकर अपनी सेल्फी क्लिक करने की जुगत लगा रहे थे। लेकिन तभी साहब का महंगा फोन तालाब के ओवर फ्लो होकर वहीं जमें पानी में गिर गया। पानी लगभग 15 फीट तक भरा हुआ था। बस फिर क्या था, शुरू हुआ साहब का फोन जलाशय से निकालने का महा अभियान। जो पूरे 3 दिन तक चला।

फूड इंस्पेक्टर का गैरजिम्मेदाराना जवाब 

वहीं इस मामले में जब फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास ने बताया कि, “मेरा फोन सेल्फी लेते समय तालाब में गिर गया था। गोताखोरों के काफी कोशिश के बाद भी फोन नहीं मिला। जिसके बाद जल संसाधन के SDO से बात हुई तो उन्होंने बताया यह पानी यूज नहीं होता, इसलिए 5 फीट पानी को बाहर निकाला गया। जिसके बाद फोन मिल गया है।” इधर जब जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी को सवालों के साथ घेरा गया तो उन्होंने कहा कि, परमिशन सिर्फ मौखिक तौर पर दी गई थी, लेकिन अब तक 10 फीट तक पानी खाली कर दिया गया है। 

लाखों लीटर पानी बर्बाद

इस तरह महज एक सरकारी अधिकारी के महंगे फोन के लिए, व्यर्थ ही इतना पानी बहाया गया। शायद इस अफसर के महंगे फोन की कीमत यहां इलाके के सैकड़ों किसानों के जीवन-यापन के साधन से बढ़कर ही है जो इस कदर मई की झुलसाती गर्मी के मौसम में भी सिंचाई के पानी को ऐसे ही बिना सोचेसमझे बर्बाद किया गया।