केजरीवाल सरकार को अदालत की फटकार, कहा- सुस्त रवैये के कारण अस्पताल का निर्माण नहीं हो पाया पूरा

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    नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi HighCourt) ने बुधवार को कहा कि यह जनता का दुर्भाग्य है कि वन विभाग की मंजूरी देने में दिल्ली सरकार के सुस्त रवैये के साथ शहर के नजफगढ़ (Najafgarh) इलाके में 100 बिस्तर वाले अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। 

    मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और कहा कि कानून के तहत केंद्र द्वारा मांगी गई मंजूरी/अनुमति ‘‘कम से कम समय” में दी जाए। उसने मामले की आगे की सुनवाई के लिए आठ नवंबर की तारीख तय की। 

    वकील राजेश कौशिक ने एक जनहित याचिका दायर करके दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ में ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र स्थल पर अस्पताल बनाने का काम पूरा करने के लिए दोनों सरकारों को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है।  पीठ ने कहा, ‘‘निर्माण काम पूरा करने के लिए कुछ कीजिए। आप इनकार भी कर सकते हैं, लेकिन हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठिए। आप कानून के अनुसार फैसला कीजिए।” 

    उसने कहा, ‘‘यह जनता का दुर्भाग्य है कि दिल्ली सरकार के सुस्त रवैये के कारण 100 बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। भारत सरकार पत्र पर पत्र लिख रही है और दिल्ली सरकार कोई जवाब नहीं दे रही। (दिल्ली सरकार ने) कोई जवाब नहीं दिया।” 

    केंद्र की ओर से पेश हुए वकील अनुराग अहलूवालिया ने अदालत को सूचित किया कि परियोजना 80 प्रतिशत पूरी हो चुकी है और उसे दिसंबर 2018 से दिल्ली सरकार के वन विभाग की अनुमति मिलने का इंतजार है, क्योंकि ‘‘वृक्ष प्रतिरोपण” की अनुमति चाहिए। वकील समीर चंद्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इमारत की संरचना पूरी हो गई है और यह “बड़े पैमाने पर जनता के लिए अत्यंत आवश्यक” है कि अस्पताल का संचालन कोविड-19 की तीसरी लहर की शुरुआत से पहले शुरू हो जाए।

    याचिका में कहा गया है कि इलाके में कोई अच्छा अस्पताल नहीं है और 100 बिस्तरों वाला केंद्र बनने से ‘‘10 किलोमीटर के दायरे में 73 गांवों में फैले 15 लाख लोगों की जरूरत ” पूरी होगी