नयी दिल्ली. दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण संबंधी मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) सरकार ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को बताया कि वह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के मकसद से पूर्ण लॉकडाडन (Lockdown) जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है। दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि इस प्रकार का कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है।
Air pollution in Delhi: Centre tells Supreme Court that stubble burning is not the major cause of pollution at present in Delhi and northern states, as it contributes to only 10% of the pollution. pic.twitter.com/hFr1oZK6Ar
— ANI (@ANI) November 15, 2021
दिल्ली सरकार ने एक शपथ पत्र में कहा, ‘‘जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) स्थानीय उत्सर्जन को काबू करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है। बहरहाल, यह कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है।” उसने कहा, ‘‘इस मुद्दे को एनसीआर क्षेत्रों से जुड़े एयरशेड (वातावरण का वह हिस्सा, जो उत्सर्जन के फैलने के हिसाब से व्यवहार करता है) के स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता है।
इसके मद्देनजर यदि भारत सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए इसका आदेश देता है, तो हम इस कदम पर विचार करने के लिए तैयार हैं।” पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका ने याचिका दायर कर छोटे और सीमांत किसानों को पराली समाप्त करने वाली मशीनें नि:शुल्क मुहैया करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, जिसके जवाब में आप सरकार ने यह शपथपत्र दाखिल किया।
न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को शनिवार को ‘आपात’ स्थिति करार दिया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया। न्यायालय ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं। न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं। पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के लिये सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूल जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई थी कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और बच्चों को गंभीर प्रदूषण के बीच बाहर निकलना पड़ रहा है।