DPCC data reveals air pollution remains highest between November 1-15 every year in Delhi
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     नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली पर रात आठ बजे के बाद आतिशबाजी से ‘पीएम10′ और ‘पीएम2.5′ के सकेंद्रण में बड़ा बदलाव हुआ। एम10, हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास के कण हैं और पीएम2.5, 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास के कण हैं। 

    डीपीसीसी के वायु प्रदूषण विश्लेषण के मुताबिक, दिल्ली में इस साल वायु गुणवत्ता के अचानक खराब होने के लिए हवा के अत्यधिक शांत रहने, हवा की दिशा बदलने और पटाखे जलाये जाने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 

    रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस साल, दिवाली के दिन पीएम10 का शहर में औसत सकेंद्रण 748 और पीएम2.5 का 607 था।” डीपीसीसी ने कहा कि हालांकि प्रदूषकों के सकेंद्रण में वृद्धि बुधवार शाम से होनी शुरू हो गई थी लेकिन दिवाली पर आतिशबाजी शुरू होने पर रात आठ बजे के बाद इसमें बड़े बदलाव पाये गये।  रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दिवाली पर बारीक कणों का सकेंद्रण दिन में क्रमिक रूप से बढ़ना शुरू हुआ था और यह रात में सर्वाधिक रहा तथा फिर धीरे-धीरे कम होने लगा।”

    उल्लेखनीय है कि दिल्ली वासियों के पटाखों पर प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाने और क्षेत्र में पराली जलाये जाने से दिल्ली-एनसीआर के ऊपर धुएं का गुबार छा गया तथा राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दिवाली के बाद 462 पर पहुंच गया , जो पांच वर्षों में सर्वाधिक है। 

    पड़ोसी नोएडा में एक्यूआई 475 रहा, जो देश में सर्वाधिक है। वहीं, फरीदाबाद में 469, ग्रेटर नोएडा में 464, गाजियाबाद में 470, गुड़गांव में 472 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो वायु प्रदूषण की गंभीर श्रेणी में आता है। धुएं की वजह से दिल्ली में लोगों ने गले में खराश और आंखों से पानी आने की शिकायतें की।   

    उल्लेखनीय है कि त्योहारों से पहले, दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की थी और इसकी बिक्री व उपयोग के खिलाफ अभियान भी शुरू किया था।