
भाजपा की सरकार जनमत के विपरीत जोड़-तोड़ के कदम उठा रही है महाराष्ट्र में- यशवंत सिन्हा
-संतोष ठाकुर
नई दिल्ली संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा इस बात को लेकर किंचित भी विचलित नहीं हैं कि उनके पास वह जादुई नंबर नहीं है। जो उनके राष्ट्रपति बनने की राह सुगम कर सकता है। उनका कहना है कि वह जीवन में कभी निराश नहीं हुए हैं। उन्होंने हर स्थिति का निडरता से सामना किया है। जो निराश होते हैं। वह कब लड़ाई लड़ते हैं। यह संख्या बल या जाति, धर्म, समुदाय की लड़ाई नहीं है। यह दो व्यक्तियों की नहीं बल्कि दो विचारधारा की लड़ाई है। जिसमें वह संयुक्त विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने संख्या बल के अपने पक्ष में नहीं होने पर भी सवाल किया।उन्होंने कहा कि यह कौन तय करेगा कि संख्या बल किसके पक्ष में है।
ऐसे आकलन पर तो देश में कोई चुनाव ही नहीं होना चाहिए। जिसके पक्ष में यह प्रतीत हो कि उसके पास अधिक संख्या है। उसे निर्वाचित माना जाए। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रपति चुनाव में पक्ष-विपक्ष और अपने सभी पुराने सहयोगियों से भी बात करेंगे। उनको भरोसा है कि अंत में उनकी ही जीत होगी। उन्होंने नवभारत से विशेष साक्षात्कार में कहा कि राष्ट्रपति पद सर्वोच्च है। उसमें किसी की जाति, समुदाय और धर्म के नाम पर वोट मांगना लोकतंत्र का परिहास करना है।
वह अपने काम और लोकतंत्र की बहाली के नाम पर मैदान में हैं। यह उनका आखरी चुनाव है। जिसमें उनको यकीन है कि वही जीतेंगे। नवभारत के डिप्टी एडिटर संतोष ठाकुर ने संख्या बल, भाजपा और उनके संबंधों, उनके बेटे के ही उनके खिलाफ वोट देने, झामुमो और बीजद के एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने का इरादा व्यक्त करने और महाराष्ट्र से शिवसेना के किसी प्रतिनिधि का उनके नामांकन में नहीं रहने को लेकर सवाल किये। प्रमुख अंश।
सवाल- एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में अंक गणित बताया जा रहा है। उसके बाद भी आप मैदान में हैं। क्यों। इतना ही नहीं, आप संयुक्त विपक्ष की चौथी पसंद होने के बाद भी चुनाव लड़ने को क्यों तैयार हुए।
उत्तर: अंक गणित कौन बता रहा है। अगर इस तरह आकलन पर चुनाव होता है तो यह नहीं होना चाहिए। चुनाव आयोग हजारों करोड़ रूपये खर्च कर मतदान क्यों कराता है। चुनाव परिणाम के बाद पता चलता है कि कौन जीता है। कौन हारा है। उससे पहले इस तरह के आकलन सही नहीं हैं। यह लोकतंत्र नहीं हो सकता है। मुझे अगर संयुक्त विपक्ष अपनी चौथी नहीं बल्कि दसवीं पसंद के रूप में भी उम्मीदार बनाता तो भी मैं मैदान में रहता। इसकी वजह यह है कि यह चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने और सच के लिए आवाज उठाने को लेकर है। इसमें तटस्थ रहने वाले को भी इतिहास में याद रखा जाएगा। यह एक धर्म युद्ध है।
सवाल- यह कहा जा रहा है कि एनडीए की उम्मीदवार आदिवासी है। वह पिछड़े वर्ग से आती हैं। ऐसे में आपको चुनाव मैदान से हट जाना चाहिए। बीजू जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी उनको समर्थन की बात की है। ऐसे में आपकी उम्मीदवारी के क्या मायने हैं। आप क्या बदलाव लाने में सफल रहेंगे।
उत्तर: क्या किसी के आदिवासी, पिछड़े या अगड़े होने को उनकी योग्यता माना जा सकता है। चुनाव योग्यता आधारित होना चाहिए। मैं जब मंत्री था और जब वह ओडिशा में विभिन्न पदों पर थीं। उस समय के कार्यो को लेकर तुलना की जाए। देश को इस समय ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है। जो सरकार के कब्जे में न हो। उसकी रबड़ स्टांप न हो। क्या वजह है कि उनके आदिवासी होने को उनकी योग्यता बताया जा रहा है। उनके कामों की चर्चा नहीं की जा रही है।
क्या आप ऐसे उम्मीदवार से यह आशा कर सकते हैं कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद सरकार से सवाल कर सकता है। देश को इस समय सरकार को सही राह बताने की हिम्मत दिखाने वाला राष्ट्रपति चाहिए। मेरे नामांकन वापस लेने की बात पर मैं यह पूछना चाहूंगा कि पहले किसकी उम्मीदवारी घोषित हुई। अगर सरकार इस पद के लिए सर्वानुमति चाहती थी तो उसे पहले अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करना चाहिए था। सभी दलों से बात करनी चाहिए थी। लेकिन उसने पहले विपक्ष के उम्मीदवार के नाम की प्रतीक्षा की।
यह सरकार बातचीत में नहीं बल्कि जोड़-तोड़, डराने, अलोकतांत्रिक तरीके अपनाने में विश्वास करती है। मैं उसी के खिलाफ मैदान में हूं। मुझे खुशी है कि मेरी उम्मीदवारी को लगभग समस्त विपक्ष ने समर्थन् दिया। विपक्षी एकता मेरी उम्मीदवारी की पहली सफलता है। केवल बीजू जनता दल ने क्षेत्रीयता के आधार पर समर्थन का ऐलान किया है। मेरे नाम घोषित होने से लेकर अब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा हमारे साथ है। अगर क्षेत्रीयता की बात है तो बिहार और झारखंड तो मेरे साथ आना चाहिए। लेकिन हम अपने काम पर वोट मांगेंगे।
सवाल- क्या आपको लगता है कि क्रॉस वोटिंग होगी।
उत्तर: हम सभी मतदाता को एक पत्र लिखने वाले हैं। जिसमें हम काम के आधार पर वोट देने की अपील करेंगे। हम निश्चित तौर पर भाजपा के अपने पुराने साथियों से भी संपर्क करेंगे। देश भर के सभी राज्यों में जाकर अपना प्रचार करेंगे। इसकी शुरूआत केरल से होगी। उसके बाद विभिन्न प्रदेश जाएंगे। इस क्रम में महाराष्ट्र का भी दौरा होगा।
सवाल- क्या वजह है कि शिवसेना का कोई प्रतिनिधि आपके नामांकन में नहीं था।
उत्तर: आप जानते हैं कि वहां पर क्या राजनीतिक हलचल हो रही है। केंद्र की भाजपा सरकार वहां पर संवैधानिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर जोड़-तोड़ से सरकार बनाने की जिद में लगी हुई है। वह जनमत का अपमान कर रही है। लेकिन शिवसेना हमारे साथ है। महाराष्ट्र में ईडी-सीबीआई जैसी संस्थाओं का डर दिखाकर तोड़-फोड़ की जा रही है। यह अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा नहीं है।
वह सभी को साथ लेकर बातचीत से हल निकालने वाली भाजपा थी। लेकिन अब की भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र तक खत्म् हो गया है। ऐसे में वह लोकतंत्र का मूल्य कैसे समझ सकती है। इस समय सभी कुछ पीएमओ चला रहा है। जिसकी वजह से युवाओं से लेकर कारोबारी तक निराश हो रहे हैं। नोटबंदी, अग्निपथ और कई ऐसे निर्णय लिये जा रहे हैं। जिससे देश और अर्थव्यवस्था का हृास हो रहा है। लेकिन फर्जी आंकड़े देकर सभी कुछ सही दिखाने का कार्य किया जा रहा है।
सवाल- ईडी और सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगता रहता है। लेकिन इसे रोका कैसे जा सकता है। यह कोई नहीं बताता है। आपके पास इसका क्या जवाब है।
उत्तर: इसका सीधा जवाब यह है कि अगर मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो पहला कदम ईडी-सीबीआई के दुरूपयोग को रोकने के लिए ही उठाया जाएगा। राष्ट्रपति संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत कार्य करता है। लेकिन अगर उसे कहीं यह लगता है कि संवैधानिक मान्यता और नियमों की अवेहलना हो रही है तो वह दखल दे सकता है। इसके लिए एक निडर राष्ट्रपति की जरूरत है। रबड़ स्टांप राष्ट्रपति इसको नहीं रोक सकता है। मैं ईडी-सीबीआई से डरने वाला नहीं हूं। हर राजनेता को ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन कुछ लोग डर जाते हैं। क्या वजह है कि ईडी एक राजनेता से 50 घंटे पूछताछ करती है।
उसके बाद उसे कुछ नहीं मिलता है। क्योंकि वह नेता निडर और साफ है। ऐसे नेता अगर सामने आए तो कोई भी अंहकारी सरकार बहुत दिन नहीं चल सकती है। हमारे जमाने में ईडी-सीबीआई को किसी राष्ट्रीय नेता से पूछताछ करनी होती थी तो वह उससे समय लेता था। उसके बाद सवाल किये जाते थे। अगर उसके बाद लगता था कि ईडी या सीबीआई कार्यालय में पूछताछ की जरूरत है तो बुलाया जाता था। लेकिन यहां पर अनावश्यक रूप से 50 घंटे पूछताछ की जा रही है। हर दिन ईडी कार्यालय बुलया जा रहा है। यह सरकार का ईडी पर दबाव है। इस डर को ही खत्म करने की जरूरत है। जिससे एजेंसियां स्वतंत्र और निडर होकर कार्य कर पाएं।
सवाल- आपको अन्य दलों से समर्थन् की उम्मीद है। आपको भाजपा के पुराने सदस्यों से भी समर्थन मिलने की आशा है। लेकिन क्या वजह है कि आपका पुत्र ही आपके खिलाफ मतदान की बात सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं।
उत्तर: वह अपना राजधर्म निभा रहे हैं। जबकि मैं अपना राष्ट्र धर्म निभा रहा हूं।