नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने अपनी समीक्षा में पाया है कि शहर के उत्तर पश्चिमी जिले में महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने के लिए शुरू की गई ‘तेजस्विनी’ पहल के नतीजे सकारात्मक आए हैं और इलाके में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। रविवार को दिल्ली पुलिस की और से एक आधिकारिक बयान में यह दावा किया गया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने इस साल 10 जुलाई को उत्तर पश्चिम जिले में महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने और संरक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘तेजस्विनी’ पहल की शुरुआत की थी। आधिकारिक बयान में कहा गया कि तेजस्विनी की सफलता के बाद उत्तर पश्चिम जिले में महिलाएं अधिक सुरक्षित महसूस कर रही हैं और इस पहल से काफी संतुष्ट हैं।
Delhi | It yielded very good results. I had deployed 46 women constables on beat, incl Head Constables. Now when we were nearing 3 months of it, I held a meeting with residents & constables. Residents gave positive feedback: DCP (northwest) Usha Rangnani on 'Tejaswini' initiative pic.twitter.com/X6kz3l8mIa
— ANI (@ANI) October 10, 2021
पुलिस ने बताया कि इस पहल के तहत 46 महिला कांस्टेबल को जहांगीरपुरी के जेजे क्लस्टर, शकूरपुर और पीतमपुरा के आवासीय इलाकों और भलस्वा गांव, बाजार और मॉल, मेट्रो स्टेशन, स्कूल कॉलेज सहित विभिन्न अपराध संभावित और संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया। बयान में कहा गया, ‘‘आवधिक समीक्षा और पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) की करीब से निगरानी के सकारात्मक फीडबैक मिले हैं और कानून-व्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है।”
विज्ञप्ति में कहा गया कि समीक्षा के तहत पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) उषा रंगनानी ने इलाके में महिलाओं के विभिन्न समूहों से संवाद किया और चर्चा के खुले सत्र आयोजित किए और इसके साथ ही महिला कांस्टेबल ने भी व्यक्तिगत स्तर पर जमीनी सच्चाई की निगरानी की। भरत नगर पुलिस थाने में तैनात कांस्टेबल किरण उत्तर पूर्व जिले में बहादुर महिला का चेहरा बन गई हैं जिन्होंने गश्त के दौरान अकेले चेन झपटमार का पीछा किया और उसे पकड़ा। आज किरण को इलाके की महिलाएं ‘आशा की किरण’ कहती हैं।
पुलिस ने गत तीन महीने का लेखाजोखा पेश करते हुए बताया कि जिले में महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा 116 मामलों को सुलझाया गया है जबकि 137 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान 243 वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं की मदद की गई है जबकि स्कूल और कॉलेज में लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए 13 शिविर लगाए गए। सड़क पर होने वाली घटनाओं को लेकर आने वाली पीसीआर कॉल में 23 प्रतिशत की कमी आई है जबकि महिलाओं से जुड़े मामलों में आने वाली पीसीआर कॉल में 31 प्रतिशत की कमी आई है।