महिला के पेट में 47 किलो का ट्यूमर, फिर डॉक्टरों ने किया कुछ ऐसा….

    Loading

    नई दिल्ली: वर्तमान में हमें कोनसी बीमारी घेर ले हम बता नहीं सकते, जैसे इंसानी जीवन में सुख सुविधाएं बढ़ रही है, ठीक वैसे ही बीमारिया भी बढ़ रही है। हाल ही में ऐसे ही एक बड़ी बीमारी से जुड़ी खबर गुजरात (Gujrat) के अहमदाबाद (Ahmedabad) से आई है, जहां डॉक्टरों (Doctors) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। आपको बता दें कि यहां एक महिला के पेट से 47 किलो का ट्यूमर  था, जिसके वजह से उसके जान पर बन आई थी, लेकिन  डॉक्टरों की टीम ने महिला (woman ) को जीवनदान दे दिया। 

    18 सालों से पेट में ट्यूमर

    बता दें कि इस ट्यूमर की वजह से महिला पिछले 18 सालों से बेहद परेशानियों का सामना कर रही थी और इतना ही नहीं बल्कि इससे उसका वजन दोगुना हो गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक दाहोद जिले की रहने वाली 56 वर्षीय महिला के पेट में पिछले 18 सालों से एक ट्यूमर था, जिसका वजन 47 किलो हो गया था। शुरुआत में यह इतना बड़ा नहीं था। यह सोचकर कि यह गैस्ट्रिक परेशानी के कारण है, महिला ने पहले कुछ आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाएं लीं। फिर 2004 में एक सोनोग्राफी में पता चला कि यह एक बैनाइन ट्यूमर है। 

    सर्जरी थी बहुत जोखिम भरी 

    इसके बाद जब इसकी जांच कराई गई तो इससे भी ज्यादा चौंकाने वाले बातें सामने आई। दरअसल डॉक्टरों ने पाया कि यह ट्यूमर फेफड़े, गुर्दे, आंत आदि सहित सभी आंतरिक अंगों से जुड़ा हुआ है, तो उन्होंने सर्जरी को बहुत जोखिम भरा माना और उसे सिल दिया। उसके बाद से कई अन्य डॉक्टरों से सलाह ली गई लेकिन कोई भी ऑपरेशन करने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस बीच कोरोना महामारी के दौरान ट्यूमर का आकार लगभग दोगुना हो गया।

    सर्जरी के बाद… 

    आखिरकार यह निर्णय हुआ कि सर्जरी की जाएगी और अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी करने का फैसला किया। यह सर्जरी पूरी तरह सफल रही और इसके बाद जो डॉक्टरों ने बताया उसे सुन कर आप भी दंग रह जाएंगे। जी हां करीब 47 किलो का यह ट्यूमर महिला के पेट से निकाला गया। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों द्वारा निकाले गए पेट की त्वचा के ऊतकों और अतिरिक्त त्वचा को जोड़कर कुल निष्कासन का वजन 54 किलो था।

    बाल-बाल बची महिला 

    अस्पताल के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. चिराग देसाई ने कहा कि हम सर्जरी से पहले मरीज का वजन नहीं कर सकते थे क्योंकि वह सीधे खड़ी नहीं हो सकती थी। लेकिन ऑपरेशन के बाद महिका का वजन 49 किलोग्राम था। सर्जरी टीम का हिस्सा रहे सर्जन नितिन सिंघल ने कहा प्रजनन आयु वर्ग की कई महिलाओं में फाइब्रॉएड आम है, लेकिन शायद ही कभी यह इतना बड़ा हो जाता है। फिलहाल महिला खतरे से बाहर है और स्वस्थ है।