नई दिल्ली. जल्द ही भारत की सरजमीं पर करीब 70 साल बाद चीतों की आमद होने वाली है। गौरतलब है कि चीतों (Cheetah) को लाने के लिए एक विशेष जंबो जेट बी 747 नामीबिया की राजधानी विंडहोक भी पहुंच चुका है। गौरतलब है कि इस विमान को बाहर से ही नहीं, अंदर से भी चीतों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, ताकि उसमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके।
नामीबिया से आने वाले चीतों की एक विशेष चार्टर कार्गो उड़ान अब ग्वालियर में उतरेगी। पहले इसे 17 सितंबर को जयपुर में उतरना था। चीतों को हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क श्योपुर लाया जाएगा: एसपी यादव, प्रोजेक्ट चीता प्रमुख pic.twitter.com/vgUn438Cep
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 16, 2022
आगामी शुक्रवार यानी 17 सितंबर को यह विमान 16 घंटे की उड़ान भरकर नामीबिया से सीधे ग्वालियर उतरेगा, जो कि, पहले सीधे जयपुर पहुँचने वाला था। इसी दिन देश के प्रधानमंत्री मोदी इन्हें कूनो पार्क में छोड़ेंगे। पिंजरों के बीच इतनी जगह होगी कि उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक आसानी से चीतों पर नजर रख सकें। इन चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा। एक्सपर्ट के मुताबिक शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली ही होना चाहिए।
#WATCH | First look of Cheetahs that will be brought from Namibia to India on 17th September at KUNO National Park, in Madhya Pradesh pic.twitter.com/HOjexYWtE6
— ANI (@ANI) September 16, 2022
वहीं तय कार्यक्रम में थोडा बदलाव हुआ है, अब नामीबिया से आने वाले चीतों की एक विशेष चार्टर कार्गो उड़ान ग्वालियर में उतरेगी। हालांकि पहले इसे 17 सितंबर को जयपुर में उतरना था। इसके बाद चीतों को हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क श्योपुर लाया जाएगा। इसके साथ ही इन आने वाले शानदार चीतों की पहली झलक भी अब सोशल मीडिया में दिखने लगी है।
वहीं नामीबिया में चीतों की निगरानी कर रहे दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो। एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि भारत आने वाले 8 चीते फिलहाल सीसीएफ सर्किल (वन संरक्षित क्षेत्र) में हैं। इनमें 5 मादा और 3 नर हैं। यह दोनों दो सगे भाई हैं।चीतों को सही सलामत पहुंचाने के लिए नामीबिया के वेटरनरी डॉक्टर एना बस्टो विमान में साथ आ रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर इन चीतों में से तीन चीतों को चीता प्रतिस्थापन परियोजना के तहत इस उद्यान में बनाये गये विशेष बाड़े में छोड़ेंगे। चीतों को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित किया गया था।