Kalpesh Vijayvargiya

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    इंदौर: भारत का सबसे स्वच्छ शहर और मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर, समय के साथ देश के सबसे कुशल शहरों में एक बनता जा रहा है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट सिटी, स्वच्छता के साथ अपशिष्ट प्रबंधन, आर्थिक विकास, उच्च शिक्षा, स्टार्टअप इकोसिस्टम और सुशासन के मामले में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर, अपनी अलग पहचान बना रहा है।

    विगत 6 वर्षों से लगातार इंदौर को भारत में सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा मिला है और ज़ाहिर तौर पर यह प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं और शहर को स्वच्छ रखने में विभिन्न समुदायों की भागीदारी के माध्यम से ही हासिल हो सका है। जो शहरवासियों की जागरूकता भी दर्शाता है कि किस प्रकार उन्होंने प्रत्येक प्रगतिशील गतिविधियों में शासन-प्रशासन का पूर्ण सहयोग किया है। 

    दूसरी तरफ शहर ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण निवेश देखा है, जिसमें नई सड़कों, फ्लाईओवर और पुलों के साथ मैट्रो निर्माण को एक प्रमुख स्थान दिया गया है। इसने शहर की कनेक्टिविटी में तो सुधार किया ही है, साथ ही लगभग 30 लाख से अधिक की आबादी के लिए यातायात को सुगम व सुलभ बनाने की दृष्टि से एक मजबूत ढांचे का निर्माण किया है। वहीं शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की पहल के जरिये, नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया है। हम देख रहे हैं कि इंदौर में क्वालिटी ऑफ़ लाइफ कई गुना विकसित हुई है।

    इस दिशा में स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम की स्थापना और सार्वजनिक स्थानों का विकास, शहर को एक आदर्श शहर के रूप में प्रदर्शित करता है। वहीं नए उद्योगों और व्यवसायों की स्थापना के साथ, शहर ने अपनी अर्थव्यवस्था में भी काफी वृद्धि की है। जिसने रोजगार के नए अवसर तो सृजित किए ही हैं, साथ ही शहरवासियों के जीवन स्तर में भी आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। हम मिनी मुंबई से रियल मुंबई की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। 

    सुशासन की बात की जाए तो इस मामले में भी इंदौर शहर एक उदाहरण के रूप में सामने आया है, जहां प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए कई सुधारों को लागू किया गया है, जिससे सार्वजानिक सेवाओं में बहुत सुधार हुआ है और नागरिकों को संतुष्टि भरे परिणाम मिले हैं। कानून व्यवस्था और जिम्मेदारी के अहसास के साथ कमिश्नर प्रणाली ने इंदौर में सीमित अफसरों की समस्या को हल किया है। अब शहर के पास कई अफसर हैं, जो हर प्रकरण पर गहराई से नजर रखते हैं।

    इस पूरे सिस्टम ने इंदौर की जनता को संतुष्ट किया है, और नतीजतन 27 प्रतिशत शिकायतों में कमी आई है। शिक्षा के क्षेत्र में आईआईटी-आईआईएम जैसे संस्थान, शहर का मान ऊंचा कर रहे हैं, और स्टार्टअप एसोसिस्टम ने शहर को एक नई दिशा दी है। महज दो सालों में शहर में स्टार्टअप्स की संख्या 300 से बढ़कर 1200 हो गई है। जो बताता है कि हम यंग टैलेंट को उनकी ऊर्जा के सही इस्तेमाल के लिए कितना अनुकूल वातावरण उपलब्ध करा रहे हैं।   

    मेरा मानना है कि इन पहलों ने इंदौर को इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के साथ-साथ सुशासन, कार्य व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम जैसे लगभग सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के सर्वश्रेष्ठ शहरों में शामिल किया है। टीसीएस, इनफ़ोसिस जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों के शहर में जारी सफल संचालन के बाद मेरा पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में, मां अहिल्या की यह ऐतिहासिक नगरी आईटी के क्षेत्र में हैदराबाद और बैंगलोर जैसे शहरों को भी पीछे छोड़ देगी। और प्रदेश की वर्तमान आर्थिक राजधानी, देश के आर्थिक, सामाजिक और व्यावसायिक विकास में अपना सबसे कीमती योगदान देने के लिए पूरी तरफ तैयार है।