हैवानियत: ग्वालियर में बेटे पर हमला करने वाले कुत्ते को शख्स ने उतारा मौत के घाट

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    भोपाल: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक व्यक्ति के बेटे को आवारा कुत्ते ने काट लिया, जिससे आक्रोशित होकर व्यक्ति ने कथित रूप से कुत्ते को मार डाला। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। देहात थाना प्रभारी आनंद कुमार ने बताया कि घटना करीब एक माह पहले सिमरिया ताल गांव में हुई थी जबकि रविवार को सोशल मीडिया पर कुत्ते की हत्या का वीडियो सामने आया।

    इसके बाद एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दूर से शूट किए गए कथित वीडियो में व्यक्ति कुत्ते को पीटता दिखाई दे रहा है जबकि कुत्ता दर्द से चिल्ला रहा है। 

    इसके बाद व्यक्ति तेज धार वाले हथियार से कुत्ते का पैर काट देता है। पशु अधिकार के लिए काम करने वाले पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के एक कार्यकर्ता ने ग्वालियर पुलिस से मामले में कार्रवाई की मांग की है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित सांघी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शिकायत के बाद व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। ग्रामीणों के अनुसार आरोपी सागर विश्वास गुस्से में था क्योंकि कुत्ते ने उसके बेटे पर हमला किया था और उसके जबड़े का मांस काट लिया था।

    कुत्ते ने गांव में कम से कम पांच लोगों को काटा था। एसपी ने बताया कि आरोपी को अदालत में पेशी के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपुल फॉर एनिमल्स (पीएफए) की कार्यकर्ता छाया तोमर की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 429 (पशुओं से बर्बर व्यवहार, जहर देना, अपंग करना, हत्या करना) और पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

    पेटा कार्यकर्ता मीत अशर और प्रियांशु जैन ने कहा कि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया जो वायरल हो गया है। पेटा ने एक बयान में कहा कि यह पता चला है कि व्यक्ति ने पशु को बार-बार रॉड से पीटा और फिर चाकू से उसका पैर काट दिए। अशर ने कहा, ‘‘पेटा इंडिया, पशुओं से क्रूरता बर्दाश्त नहीं करने के ग्वालियर पुलिस के संदेश की सराहना करता है।”

    जैन ने कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश में किसी भी पशु के खिलाफ इस तरह की क्रूरता कभी नहीं देखी। जैन ने कहा कि आरोपी को मनोचिकित्सक से जांच और परामर्श की जरूरत है। इस तरह के मामले पशु क्रूरता के खिलाफ मजबूत कानूनों की जरूरत को दर्शाते हैं। (एजेंसी)