Mahatma Phule Krishi Vidyapeeth

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    अहमदनगर: महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय (Mahatma Phule Agricultural University)  के कुलगुरू डॉ. पी.जी. पाटिल की की संकल्पना से मौसम अद्यतन खेती और जल व्यवस्थापन केंद्र में कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) में ड्रोन (Drone) इस्तेमाल पर प्रयोग करने के लिए विशेष लैबोरेटरी का निर्माण किया है। केंद्र सरकार के सिविल एविएशन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने ड्रोन के इस्तामेल के के लिए कुछ नियम तैयार किए हैा।

    इसके अनुसार, ड्रोन चलाने के लिए ड्रोन पायलट लाइसेंस (Drone Pilot License) की आवश्यकता होती है। इस दृष्टि से महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ को अधिकृत ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्था के रूप में मंजुरी मिली है। दिल्ली के नागरी उड्डयन संचालनालय के अधिकारियों ने कुछ समय पहले राहुरी कृषि विश्वविद्यालय को भेट देकर ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्था स्थापना के लिए आवश्यक सुविधा, बुनियादी संसाधनों का और चास में स्थित कृषि संशोधन केंद्र में ड्रोन उड्डान क्षेत्र का भी निरीक्षण किया। 

    मुंबई के ग्राऊंड जीरो एरोस्पेस संस्था के साथ करार 

    कृषि विश्वविद्यालय ने इस प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण कराने के लिए मुंबई के ग्राऊंड जीरो एरोस्पेस संस्था के साथ करार किया है। यह संस्था ड्रोन पायलट प्रशिक्षण के लिए विद्यापीठ की सहायता करेगी। इस उपक्रम के लिए विद्यापीठ के तत्कालीन संशोधन और विस्तार शिक्षण संचालक डॉ. शरद गडाख, अधिष्ठाता डॉ. प्रमोद रसाल, कास्ट प्रकल्प के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सुनिल गोरंटीवार, डॉ. मुकुंद शिंदे के मागदर्शन में डॉ. सचिन नलावडे, ग्राऊंड जीरो के राहुल आंबेगांवकर, ध्रीती शाह, डॉ. गिरीष कुमार भणगे, इंजीनियर नीलकंठ मोरे ने विशेष प्रयास किए। 

    रोजगार का नया अवसर उपलब्ध होगा

    महात्मा फुले कृषि विवि को ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्था 10 साल चलाने के लिए मंजुरी मिली है। इस प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए के लिए 10 वीं पास होना जरुरी होगा। ऐसी जानकारी डॉ. सचिन नलावडे ने दी। आनेवाले समय में खेती में ड्रोन का इस्तेमाल भारी मात्रा में बढ़ने की संभावना है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को ड्रोन पायलट बनकर रोजगार का एक नया अवसर उपलब्ध होने वाला है।