पंछी देते है बारिश के संकेत, प्रकृति कई तरीकों से देती है बारिश की स्थिति का संकेत

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    • मनुष्य संकेत से अनभिज्ञ

    अकोला. गर्मी की तपिश अब सभी के लिए असहनीय हो गई है व सभी बेसब्री से बारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं. राज्य के कुछ भागों में मानसून सक्रिय हो चुका है. मानसून के विषय में सरकारी यंत्रणा, समाचार पत्रों व चैनल्स के जरिए अलग-अलग अनुमान व्यक्त किए जा रहे हैं, मगर कुछ पक्षी बारिश के आगमन का बिल्कुल सही संकेत देते हैं. इसी वजह से पहले बारिश के आगमन का अनुमान पक्षियों के संकेतों के जरिए ही लगाया जाता था. बारिश का आगमन तथा इस साल की स्थिति आदि बातों का अनुमान प्राकृतिक संकेतों के जरिए ही सही-सही लगाया जा सकता है. पशु-पक्षी बारिश का बिल्कुल सही संकेत देते हैं, मगर अब हम प्रकृति से दूर हो गए हैं, इसलिए समझ नहीं पाते. 

    बारिश के करीब आने का संकेत सबसे पहले अफ्रीका से आने वाले चातक पक्षी देते हैं. यदि बारिश जल्दी आने वाली हो तो उक्त पक्षियों का आगमन जल्दी हो जाता है. यदि उनके आगमन में विलंब हो तो बारिश भी देरी से ही आएगी, यह निर्विवाद सत्य है. चातक पक्षियों की पीऊ पीऊ की आवाज ही बारिश की दस्तक होती है. चातक की तरह ही पावशा पक्षी भी मौसम में बदलाव का पूर्व संकेत देता है. इस पक्षी की पेरते व्हा पेरते व्हा की आवाज सुनते ही किसान बुआई की तैयारी करने लगते हैं. 

    जंगलों में तीतर की आवाज भी बारिश के निकट आने का संकेत होती है. यदि बस्तियों से सटे जंगल में तीतर की आवाजें तेज हो जाएं तो यह बारिश के करीब आने का स्पष्ट संकेत होता है. कौए एवं चिड़िया की कहानियों में कौआ भी बारिश का संकेत देता है. जंगल के अभ्यासकों के अनुसार कौआ यदि मई में बबूल जैसे कंटीले वृक्षों पर घोसला बनाना शुरू कर दे तो यह कम बारिश का तथा यदि आम व करंज जैसे वृक्षों पर घोसला बनाए तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है.

    कौआ यदि वृक्ष की पूर्वी दिशा में घोसला बनाए तो यह अच्छी बारिश का तथा यदि पश्चिमी दिशा में घोसला बनाए तो यह औसत वर्षा का तथा यदि दक्षिणी या उत्तरी दिश में घोसला बनाए तो यह कम बारिश का संकेत होता है. इसी तरह यदि कौआ वृक्षों के अंतिम छोर पर घोंसला बनाए तो यह सूखे का संकेत माना जाता है. मादा कौए के अंडे देने के तरीके पर भी पुराने लोग बारिश का अनुमान लगा लेते थे. पक्षियों के शिकार पर जीवनयापन करने वाले पारधी लोग आज भी बारिश एवं मौसम का अनुमान पक्षियों के आवागमन के आधार पर ही लगाते हैं. 

    इनसे भी मिलते हैं बारिश के संकेत 

    मछलियां, केकड़े, हिरन, शेरनी तथा काली चींटियां जैसे कई कीट भी बारिश का स्पष्ट संकेत देते हैं. वृक्ष व लताएं भी बारिश के आगमन व स्थिति का बिल्कुल सही संकेत देते हैं, मगर उसे समझने के लिए उनका अभ्यास जरूरी है. 

    प्रकृति का अभ्यास जरूरी- अमोल सावंत 

    निसर्गकट्टा अकोला के अमोल सावंत ने कहा कि प्रकृति के कई घटक हमें प्रभावित करते हैं. वे मौसम में बदलाव की बिल्कुल सही जानकारी देते हैं, मगर उन्हें समझने के लिए अभ्यास जरूरी है. पुरानी पीढ़ी के निरक्षर लोग इन बातों के जानकार थे, मगर अब हमारे पास इसके लिए समय ही नहीं है.