अकोला. अकोला महानगर पालिका क्षेत्र में अब तक 65,920 नल कनेक्शनों को योजना के माध्यम से वैध किया जा चुका है. इसके बावजूद जल आपूर्ति विभाग का अनुमान है कि मनपा क्षेत्र में 15 से 20 हजार नल कनेक्शन अभी भी अवैध हैं. इन अवैध नल कनेक्शनों के कारण मनपा को आर्थिक नुकसान हो रहा है. जिससे मनपा आयुक्त ने अवैध नल कनेक्शनों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जलापूर्ति विभाग को दिए हैं.
मनपा के अमृत योजना में शामिल होने के बाद जलापूर्ति योजना को मजबूत करने का काम शुरू किया गया है. इसके लिए 110 करोड़ खर्च किए गए हैं. इसमें पुरानी पाईप लाइनों को नई पाईप लाइनों में बदलना शामिल है. इन पाईप लाइनों को बदलने के बाद पुरानी पाईप लाइन के नल कनेक्शन फिर से जोड़ने की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार की थी. इसके लिए ठेकेदार को अलग से भुगतान किया गया था. चार साल पहले मनपा ने एक ठेकेदार को 34 हजार नल कनेक्शन फिर से जोड़ने का ठेका दिया था. चार साल पहले मनपा में 34,000 वैध नल कनेक्शन दर्ज थे. इसी तरह संपत्तियों की संख्या डेढ़ लाख थी.
इसलिए शहर में अवैध नल कनेक्शन है, यह स्पष्ट था. इसी को ध्यान में रखते हुए मनपा ने अवैध नल कनेक्शनों को वैध बनाने के लिए अभय योजना लागू की. अभय योजना में, नल कनेक्शन को 400 रुपये में वैध किया गया था. इस योजना को लगातार बढ़ाया गया था. हालांकि, नल कनेक्शन को 400 रु. में वैध करते समय यह निर्धारित किया गया था कि दो साल से अधिक का कर बकाया नहीं होना चाहिए. जिससे जिस पर दो साल से अधिक का कर बकाया है, ऐसे अवैध नल कनेक्शन धारकों ने इस योजना से मुंह मोड़ लिया. हालांकि इस योजना के अच्छे परिणाम भी सामने आए. क्योंकि चार साल में वैध कनेक्शनों की संख्या दोगुनी हो गई है. यह संख्या अब 65,920 हो गई है.
मनपा का आर्थिक नुकसान
मनपा क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख संपत्तिधारक हैं. इनमें से 82 से 85 हजार निवासी घर है. इसी तरह वैध नल कनेक्शनों की संख्या 65,920 है. जिससे शहर में अभी भी 15,000 से 20,000 अवैध नल कनेक्शन हैं, जिससे मनपा का आर्थिक नुकसान हो रहा है.
अपने नल कनेक्शन वैध करवा लें
अवैध नल कनेक्शनों की तलाशी का अभियान चलाया जा रहा है. जिन नागरिकों को अवैध नलसाजी करते पाया गया है, उनकी पानी की आपूर्ति काट दी गई है. इसलिए नागरिकों को चाहिए कि वे नियमों के अनुसार अपने नल कनेक्शन वैध करवा लें, यह आहवान मनपा जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता हरिदास ताठे ने किया है.