Baladevi of Balapur

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    • माता की मूर्ति स्वयंभू है

    अकोला. भगवती श्री बालादेवी माता के नाम पर जिले के बालापुर इस ऐतिहासिक शहर का नाम बालापुर पड़ा है. प्राचीन ऐतिहासिक शहर के पूर्व में दो नदियों के बीच एक खड़ी ऊंची पहाड़ी पर श्री बालादेवी माता का मंदिर स्थित है. भगवती श्री बालादेवी माता की मूर्ति स्वयंभू है. यह भी उल्लेख मिलता है कि समर्थ रामदास स्वामी कुछ दिनों तक इस पवित्र स्थान पर रहे थे. बालापुर के प्रसिद्ध किले के दक्षिणी किनारे पर, मन और महेश यह दो नदियां उत्तरी दिशा की ओर बहती हैं. इन दो नदियों के बीच एक ऊँची पहाड़ी पर बालादेवी विराजी है.

    बालादेवी माता यह तीर्थ एक जागृत शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. पहाड़ी के दक्षिणी सिरे पर प्राचीन महात्मा की समाधी है. हमारे 18 महापुराण उन्हीं में से एक है ब्रह्माण्ड महापुराण, उस पुराण में श्री ललितो पाठ्यान है. इसके 22वें अध्याय में भगवती बालादेवी द्वारा भांडासुर नामक राक्षस के 30 पुत्रों का वध करने की कथा प्रसिद्ध है. टीवी पर विज्ञापनों में श्री यंत्र के महत्व को दिखाया जाता है. उस श्री यंत्र की देवता बालात्रिपुरासुंदरी माता हैं. इस यंत्र की पूजा का अर्थ है देवी त्रिपुरासुंदरी की पूजा. यह इस कलियुग में सबसे श्रेष्ठ और शीघ्र फल देने वाली माता के रूप में जानी जाती है.

    माता का शारदीय नवरात्रि उत्सव प्रारंभ

    बालापुर की आराध्य देवी भगवती बालादेवी माता के मंदिर में बालात्रिपुरासुंदरी माता का शारदीय नवरात्रि उत्सव शुरू हो गया है. घट स्थापना के पावन दिवस पर मंदिर में घट स्थापना के साथ मंगल वाद्यों की ध्वनि से नवरात्रि पर्व की शुरुआत की गयी. 

    5 को सीमा उल्लंघन 

    नवरात्रि पर्व के अवसर पर 5 अक्टूबर, विजयादशमी को श्री बालादेवी माता की पालकी शाम 5 बजे गाजे बाजे के साथ सीमा उल्लंघन के लिए रवाना होगी. इस सीमा उल्लंघन के लिए आस पास के ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहते हैं. नवरात्रि उत्सव के दौरान हर दिन त्रिकाल आरती की जाती है, यह जानकारी मंदिर के ट्रस्टी पुजारी रामदास जोशी ने दी है.