राशन कार्ड बनाने के लिए लाभार्थियों को हो रही पीड़ा, सैंकड़ों लाभार्थी कार्ड से वंचित

    Loading

    • नहीं मिल रहा शासकीय योजना का लाभ

    आसेगांव. राशन कार्ड एक जरूरी दस्तावेज है, जिसकी अनेक कामों में जरूरत पड़ती है. वहीं नई प्रणाली के अनुसार राशन कार्ड के लिए आवश्यक दस्तावेजों की संख्या भी बढ़ा दी गई है. इन दस्तावेजों को जमा करने के लिए नागरिकों को बड़े पैमाने पर मशक्कत करनी पड़ रही है. किंतु फिर भी शासकीय नियम के अनुसार दस्तावेज जमा करने के बावजूद भी सैंकड़ों की तादाद ऐसे लाभार्थियों की है जिन्हें दस्तावेजो की गलतियों के कारण राशन कार्ड बनाने में परेशानी पेश आ रही है.

    एक तरह से जो लोग नया राशनकार्ड बनवाने की मंशा रख रहे है उनके साथ शासन छल करने लगा है. गांव क्षेत्र में रहकर यदि शासकीय योजना का लाभ लेना हो तो सबसे पहले हर परिवार के पास केसरी अंत्योदय अथवा एपीएल बीपीएल राशन कार्ड रहना बेहद जरूरी होता है. किंतु वर्तमान में शासन के नए नियम जो राशन कार्ड के बनवाने हेतु अमल में लाए गए है. उन कारणों से सैंकड़ों की तादाद में सैंकड़ों परिवार ऐसे भी है जिनके पास राशनकार्ड तक नहीं है. सरकार चाहे जितने भी वादे करले की हर परिवार को कार्ड के माध्यम से राशन अनाज मुहैया कराया जा रहा हो तथा विविध शासकीय योजना का लाभ दिलाया जा रहा हो यह सारी बाते अब खोकली बनती नजर आने लगी है. 

    गांव क्षेत्रों में निवास करने वालो में लगभग 90 प्रतिशत लोग राशनकार्ड के माध्यम से मिलने वाले स्कीमों पर निर्भर है. किन्तु जिस प्रकार से पात्र रहने के बावजूद बिना राशनकार्ड वालों की भरमार वर्तमान में है उससे यही बात उभरकर सामने आने लगी है की शासन ही खुद सामान्य जनता को प्रताड़ित करने का काम कर रहा है. क्योंकि राशन कार्ड बनवाने के लिए जिन जिन दस्तावेजों को अनिवार्य किया गया है. उस अनुसार तो सभी लाभार्थी दस्तावेज जमा करवाने लगे है किंतु फिर भी नए राशन कार्ड धारकों को राशन मुहैया न कराए जाने की जानकारी सामने आई है. 

    इस के अलावा गठित परिवार से अलग होकर यदि कोई अलग रह रहा हो और उसे कार्ड बनवाना है तो नियम के अनुसार उक्त परिवार के मुख्या के पास जगह का नमूना आठ रहना जरूरी है. जिसके बाद ही राशन कार्ड बनने की राह बन सकती है. लेकिन सबसे बड़ी चौकाने वाली बात तो यह है कि गांव इलाको में कामकाज का प्रबंध न रहने से लोगों के खाने के लाले है. ऐसे में धनराशि जमा कर अलग से कैसे घर का सपना साकार करें. लेकिन सरकार को गरीबो की इन समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है. नियम के आगे कुछ नहीं इस भूमिका पर शासन का अडियल रवैया बरकरार है. 

    लाभार्थियों को ऐसे होती है पीड़ा 

    नए राशन कार्ड बनवाने के लिए विविध दस्तावेजो की जरूरत होती है. जिस के लिए लाभार्थियों को सही से मार्गदर्शन भी नहीं मिल पाता है. इस के अलावा कार्ड के लिए दस्तावेज दिए जाने के बावजूद भी कार्ड नहीं बन पाता यदि किसी का बन भी गया तो उक्त कार्ड को आनलाइन करने में विलंब होता इस के अलावा कार्ड आनलाइन हो भी जाए तो उक्त कार्ड धारक को जल्दी राशन नहीं मिल पाता. यदि कार्ड बनवाना है तो हजारो रुपए खर्च करने के बावजूद भी लाभार्थी अपने आपको ठगा से महसूस करते है. इस गंभीर मुद्दे पर भी जिला प्रशासन और जिलाधिकारी को विशेष ध्यान देना जरूरी है. 

    शासन को करना होगा गरीबों की समस्याओं पर मंथन 

    गांव इलाको में भी आए दिन जनसंख्या में बढ़ोत्तरी होने से परिवार व घरो की संख्या बढ़ने लगी है. लेकिन अधिकत्तर परिवार किराए से रहने के कारण सरकारी अनाज का लाभ नहीं उठा पा रहे है. उसमें भी राशनकार्ड बनवाने के लिए जगह व अन्य दस्तावेजो की गलतियां रहना गरीबों को उनके हक से बेदखल करने जैसा है. 2015 से पूर्व राशनकार्ड बनवाने के लिए किसी तरह से कोई जगह नमूना आठ दस्तावेज नहीं लग पाता था. उसी की तर्ज पर तत्काल कदम उठाते हुए गरीबो का सर्वेक्षण ग्राम पंचायतों के माध्यम से कर राशनकार्ड बनवाने की पहल किए जाने की आवश्यकता है.