जीवनावश्यक वस्तुएं 20 फीसदी हुई महंगी, आम लोगों की जेबों को लगी कैंची

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    अकोला. कोरोना समयावधि के दौरान आर्थिक संकट के सामने आने से नागरिकों को अब महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. ईंधन के साथ घरेलू गैस सिलेंडर आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं. मासिक किराने का सामान, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, शैंपू, नारियल तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में पिछले छह महीनों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

    कोरोना के कारण अनेक लोग बेरोजगार हो गए हैं. कई उद्योगों को ताले लगा दिए गए हैं तो कुछ उद्योग बंद करने की कगार पर पहुंच गये हैं. बार बार लाकडाउन के कारण उद्योग, व्यवसाय करने वाले तंग आ गए है. जिससे इन उद्योगों के भरोसे रोजगार प्राप्त करनेवाले मजदूर व मध्य वर्गीय आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. परिणामस्वरूप नागरिकों की क्रय शक्ति कम हो गई है. पिछले दो महीनों से ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और पेट्रोल सौ रू. तक पहुंच गया है.

    घरेलू गैस सिलेंडर की दरों में भी बढ़ोतरी की गयी है. इसने नागरिकों की जेब पर अधिक बोझ डाला है. ईंधन की कीमतों में वृद्धि का मुद्रास्फीति पर सीधा प्रभाव पड़ा है, मासिक किराने का सामान अधिक महंगा हो गया है. जीवन की दैनिक आवश्यकताओं की कीमतों में बीस प्रतिशत की वृद्धि ने नागरिकों के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. कॉस्मेटिक्स, पाउडर, शेविंग क्रीम, बाथ सोप, वाशिंग पाउडर, टूथ पेस्ट, मेहंदी, बॉडी लोशन, चाय पत्ती और खाद्य तेल भी अधिक महंगे हो गए हैं.

    इससे पहले कंपनियां वर्ष के अंत में एक बार इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ा रही थीं. हालांकि, पिछले छह महीनों में कीमतों को दो से तीन बार, 2 रू से 10 रुपये तक की बढ़ोतरी की गयी है. विक्रेताओं का कहना है कि कई वस्तुओं पर छह महीने के भीतर मुद्रित वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी. इसलिए बड़ी कंपनियां नागरिकों को लूट रही हैं.

    डीजल की बढ़ती कीमतों ने माल ढुलाई लागत को भी बढ़ा दिया है. नतीजतन जीवनावश्यक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ गई हैं. नागरिकों के बजट बिगड़ गए हैं और हर कोई महंगाई के कारण पीड़ित दिखाई दे रहा है. आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण नागरिकों को वित्तीय संकट का भी सामना करना पड़ रहा है.

    इस तरह हुई दामों में बढ़ोतरी

    चाय पत्ती के दामों में 20 प्रतिशत वृद्धि देखी गयी है. इसी तरह सोयाबीन तेल के दाम जो कि 110 रू. प्रति किलो थे वह अब 135 रू. किलो हो गए हैं. इसी दूध 60 रू. प्रति लीटर से लेकर 70 रू. हो गया है. आटो रिक्शा चालक जिस स्थान पर जाने के लिए 10 रू. लिया करते थे वह अब 20 रू. ले रहे हैं. इस तरह खाद्य सामग्री के साथ साथ अन्य कई सुविधाओं की दरों में भी वृद्धि देखी गयी है. जिससे कमजोर वर्ग व मध्यम वर्ग का बजट बिगड़ गया है.