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अकोला. चने की फसल अभी बढ़ने की अवस्था में है. साधारणत: 8 से 10 दिनों के बाद फूल की अवस्था में प्रवेश करेंगी. इस दौरान घाटे इल्लियों की संक्रमण की आशंका है. इस के संदर्भ में डा. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के कीटकशास्त्र विभाग से नियंत्रण उपाययोजना व सूचना दी गई है. 

लक्षण व  प्रारंभिक अवस्था 

घाटे इल्लि यह चने की फसल की प्रमुख कीट होकर इस कीट की मादा पतंग पत्ते, कली व फूलों पर अंडे डालती है. अंडों से 2 से 3 दिनों में इल्लि बाहर आती है. यह इल्लि पत्तों का हरीत द्रव्य खाती है. जिससे पत्ते पीले व सफेद होकर गल जाते है. बड़ी इल्लियां संपूर्ण पत्ते खाती है. जिससे पेड़ पर सिर्फ डहनी रहती है. आगे फसल फूल पर आने पर इस इल्लि का संक्रमण बढ़ता है. इल्लियां फूल व घाटों का नुकसान करती है. बड़ी इल्लियां घाटों को छेद कर अंदर के दाने खाकर घाटे पोखरती है. एक इल्लि साधारणत: 30-40 घाटों का नुकसान करती है. 

उपाययोजना 

घाटे इल्लि का भक्षक बगले, मैना, राघो, निलकंठ, काली चिड़ियां फसल में घुमकर घाटे इल्लियां खाकर फसल का नियंत्रण करती है. कीटकनाशक का अधिक उपयोग न करें. किसानों ने फसल का निरीक्षण कर कीट का संक्रमण पाए जाने पर घाटे इल्लियों का संक्रमण रोकने के लिए छिड़काव करना चाहिए. पहला छिड़काव 50 प्रतिशत फूल पर होते समय तथा दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 दिनों के बाद करना चाहिए. इस तरह उपाययोजना करने का आहवान कीटकशास्त्र विभाग ने की है.