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    अकोला. अमृत ​​योजना के माध्यम से शहर में 92 करोड़ रुपये की लागत से पाइप लाइन बिछाई गई थी. लेकिन वर्तमान में इस पाइप लाइन पर लीकेज हटाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पाइप लाइन डालने वाले ठेकेदार के मुताबिक ठेके में ऐसा कोई जिक्र ही नहीं है और मनपा द्वारा नियुक्त जोन ठेकेदारों ने भी यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं कि यह हमारा काम नहीं है. इससे पाइप लाइन से पानी की बर्बादी हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता नीलेश देव ने इस संबंध में रामदासपेठ थाने में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मामले को जांच में रखा है.

    अमृत ​​योजना के तहत शहर के चारों जोन में पाइप लाइन डालने का काम किया गया था. अमृत ​​योजना अनुबन्ध के अनुसार पाइप लाइन की देखभाल एवं दुरूस्ती करना अपेक्षित था. लेकिन, पिछले छह माह से लीकेज की मरम्मत नहीं की जा रही है. यह मामला नीलेश देव द्वारा मनपा के जल आपूर्ति विभाग के ध्यान में लाया गया था. समय पर लीकेज की मरम्मत नहीं होने से पानी की बर्बादी हो रही है, जिससे राष्ट्रीय धन और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हो रहा है. नीलेश देव ने शिकायत में कहा है कि इस प्रकार की घटना के लिए जलदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता जिम्मेदार हैं. उन्होंने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी मांग की है. 

    पानी की बर्बादी का यह गंभीर मामला

    पाइप लाइन लीकेज होने से पानी की भारी बर्बादी होती है. साथ ही परियोजनाओं में प्रचुर मात्रा में जल होने के बावजूद जल का समुचित उपयोग आवश्यक है. हालांकि परियोजनाओं में प्रचुर मात्रा में जल उपलब्ध है लेकिन इसके बावजूद जल का समुचित उपयोग आवश्यक है. क्योंकि गर्मियां आ रही हैं, इसलिए पानी का सही इस्तेमाल करना चाहिए. समाजसेवी मनपा का ध्यान इस ओर भी दिला रहे हैं कि यदि मनपा समय पर मरम्मत कार्य करा ले तो स्थिति गंभीर नहीं होगी. साथ ही जनमत यह भी है कि इस संबंध में जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना उचित नहीं है.