Dengue
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    अकोला. जिले में मलेरिया का खतरा बढ़ गया है. ग्रामीण के साथ शहरी भागों में भी मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसैनिकों ने मनपा प्रशासन से इसकी रोकथाम कराए जाने हेतु उपयुक्त योजना बनाने की मांग जिला मलेरिया अधिकारी से निवेदन देकर की है. जिले में पिछले एक महीने से मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया व इसी तरह की अन्य बीमारियों के मरीज पाए जा रहे हैं. अकोट में एक मरीज डेंगू से जान गंवा चुका है.

    शहरी भाग में दिखाई दे रही उदासीनता 

    ग्रामीण भागों में इस तरह की बीमारियों के संदिग्ध मरीजों का उपचार संबंधित विभाग द्वारा किया जा रहा है, मगर शहरी भाग में इस विषय में उदासीनता देखी जा रही है. जिले के सभी मनपा एवं नगरपालिका क्षेत्रों तथा ग्रामीण भागों में भी स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों एवं स्वास्थ्य सेवकों के माध्यम से क्षेत्रीय दौरे कर इन बीमारियों को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएं. यह मांग शिंदे गुट के शिवसैनिकों ने की है. इसके लिए कीटनाशकों के फव्वारे लगाए जाने तथा तालाब एवं बड़ी टंकियों में मच्छरों के लार्वा खाने वाली मछलियां छोड़ी जाने की व्यवस्था जरूरी है. यह मांग निवेदन के माध्यम से की गई है.

    प्रतिनिधिमंडल में जिला प्रमुख अश्विन नवले, महानगराध्यक्ष योगेश अग्रवाल, मुरलीधर झटाले, गणेश गोगे, सचिन पाचपोर, चेतन गायकवाड़, मृदुल पाठक, सचिन मित्रा, गजानन रोकड़े, राजेश नेरकर, अतुल येलणे, राजू शिंदे एवं निखिल बोरकर आदि शामिल थे.

    बच्चों के लिए ज्यादा खतरा

    डेंगू के कोई लक्षण नहीं दिखते, मगर यह बीमारी संक्रमित कर देती है. बच्चों एवं शिशुओं में इसके लक्षण बहुत सौम्य होते हैं. नवजात शिशुओं एवं एकाध साल के बच्चों में इस बीमारी की शुरुआत वायरल फ्लू के साथ होती है. संक्रमित बच्चों में बुखार, नाक बहना, खांसी व चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण होते हैं. ऐसे बच्चे सामान्य से ज्यादा रोने लगते हैं. साथ ही नाक से रक्तस्त्राव, त्वचा पर चट्ठे एवं उल्टियां जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

    लक्षण नजर आने पर बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं

    उक्त लक्षण उजागर होते ही बाल रोग विशेषज्ञ या सामान्य चिकित्सक को दिखाएं. अधिकांश डाक्टर किसी भी तरह के वायरस का संक्रमण होने पर रक्तजांच करते हैं. सामान्य तौर पर डेंगू के उपचार के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है, मगर मामला गंभीर होने पर अस्पताल में दाखिल करना आवश्यक है.बच्चों को पोषक आहार दें. बुखार कम करने के लिए माथे पर गीले कपड़े की पट्टी रखें. ऐसी स्थिति में पपीते का रस सहायक हो सकता है. उसके डोज के विषय में अपने डाक्टर से सलाह लें. यह ध्यान रखें की बच्चा भरपूर विश्राम करे. खेलना, टीवी या आईपैड देखना टालें. बच्चे को कहानी सुनाते हुए या गाते हुए व्यस्त रखें.