51,514 MT of fertilizer available, adequate supply of fertilizer for farmers

    • बीज, खाद के दामों में हुई वृद्धि
    • बुआई के साधन भी हुए महंगे

    अकोला. महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इसका असर अब किसानों पर भी पड़ा है. इस समय जिले के किसान खरीफ फसलों की बुआई में लगे हुए हैं. किसानों का कहना है कि इस वर्ष बीज, खाद तथा बुआई के साधन भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी महंगे हो गए हैं. इसी तरह खेतीहर मजदूरों की मजदूरी भी काफी बढ़ गयी है. किसानों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से नैसर्गिक संकटकों के कारण खेती से होनेवाली आमदनी पहले ही कम हो रही है, उस पर खाद, बीज के साथ साथ अन्य कृषि सामग्री के दाम बढ़ने के कारण अब खेती करना आसान नहीं रहा है.

    किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष एक एकड़ पर होनेवाले खर्च में काफी वृद्धि हुई है. स्थानीय किसान दीपेश तिवारी ने बताया कि पिछले वर्ष कपास के बीज का जो पैकेट 700 से लेकर 710 रू. तक मिल रहा था आज वही पैकेट 850 से 860 रू. हो गया है. इसी तरह महाबीज के बीज के दामों में भी वृद्धि हुई है. इन सभी कारणों से खेती व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. इसके अलावा भी अन्य खेती से संबंधित सामग्रियों के दाम भी बढ़े हैं.

    किसान दीपेश तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आधारभूत कीमतों के अनुसार गारंटी दाम घोषित किए हैं, उस अनुसार गारंटी दामों में सर्वाधिक दाम तिल्ली के बढाए गए हैं, सोयाबीन के दाम में 350 रू. की वृद्धि की गयी है. कपास के दाम भी बढ़ाए हैं लेकिन बढ़ी हुई महंगाई को देखते हुए गारंटी दामों में यह वृद्धि बहुत अधिक नहीं है. 

    खाद की कीमतें भी बढ़ीं

    इस वर्ष खेती के लिए लगनेवाली खाद तथा रासायनिक खाद की कीमतों में भी वृद्धि देखी जा रही है. पिछले वर्ष डीएपी खाद की एक बैग 1240 से 1250 रू. तक मिल रही थी वह इस वर्ष बढ़कर 1350 रू. तक पहुंच गयी हैं. इस तरह खेती के लिए खाद खरीदना भी अब आसान नहीं है. और तो और सुपर फास्फेट और डीएपी खाद जो कि सोयाबीन और कपास की फसलों के लिए उपयोग की जाती है इस खाद की भी काफी कमी है. और तो और यह भी कह सकते हैं कि यह खाद उपलब्ध नहीं है. इस कारण भी किसान परेशान देखे जा रहे हैं. 

    बुआई का खर्च बढ़ा

    इस वर्ष पेट्रोल तथा डीजल के दामों में हुई लगातार वृद्धि के कारण किसानों द्वारा जो बुआई की जाती है उसका खर्च भी काफी बढ़ा हुआ है. पिछले वर्ष किसानों को बीज की एक बैग की बुआई करने के लिए 500 से 600 रू. खर्च आता था वह खर्च बढ़कर अब 800 रू. प्रति बैग के करीब हो गया है. किसानों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि डीजल तथा पेट्रोल के दामों में वृद्धि होने के कारण यह दाम इतने बढ़ गए हैं. क्यों कि खेतों में बुआई अधिकतर ट्रैक्टर द्वारा ही होती है. डीजल के दाम बढ़ने से बुआई के साधन भी अब महंगे हो गए हैं.