अकोला. स्थानीय मूवमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेल्फेयर ने केंद्र सरकार द्वारा विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए किसानों को उनके सफ़ल जन आंदोलन के लिए बधाई दी है. एमपीजे ने इसे किसानों की जीत, संविधान और प्रजातंत्र की जीत बताते हुए किसानों को उनके उपज पर क़ीमत की सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है.
एमपीजे ने कृषि उत्पादों के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र लागू करने हेतु अविलम्ब आवश्यक क़दम उठाए जाने का अनुरोध किया है. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम क़ीमत पर की गई ख़रीद को ग़ैर क़ानूनी घोषित किए जाने की मांग की है ताकि, यह सुनिश्चित हो सके कि, किसान चाहे अपने उत्पाद मंडी में बेचे या मंडी से बाहर, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े.
एमपीजे के प्रवक्ता हुसैन खान ने कहा कि, सरकार ने जन दबाव में इन विवादग्रस्त कानूनों को वापस ले लिया है, यह अच्छी बात है, लेकिन इन कानूनों की वापसी किसानों और खेत मजदूरों की समस्याओं का हल नहीं है. क्योंकि, देश में कृषि संकट इन विवादास्पद कानूनों से पहले भी था, जो आज भी ज्यों का त्यों बना है. इन तीनों क़ानूनों ने तो किसानों की समस्याओं को और बढ़ाने का काम किया है.
इसलिए एमपीजे ने केंद्र सरकार से किसानों के कल्याण को देखते हुए मांग की है कि इसमें किसानों और उनके प्रतिनिधियों के साथ रचनात्मक संवाद हो, सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी हो, किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाएं और आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवज़ा दिए जाने की मांग की है. जनहित में सरकार किसानों की समस्याओं पर जल्द से जल्द विचार करे और उन्हें न्याय दे. ऐसी जानकारी एमपीजे के जिलाध्यक्ष मो.अतिकुर रहेमान ने दी.